कश्मीर का गला घोंटने के विरोध में दिया इस्तीफा
बोलने की आजादी हासिल उद्देश्य से कम उम्र में ही आईएएस पद से इस्तीफा देने वाले कन्नान गोपिनाथन ने कहा कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद राज्य में रहे सरकार के रवैए ने उन्हें ये फैसला करने पर मजबूर किया.
33 वर्षीय कन्नान ने द टेलीग्राफ को बताया, “मेरे फैसले का कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से कोई संबंध नहीं है, पर वहां लोगों को अपनी बात रखने या प्रतिक्रिया देने का मौका नहीं देने से मेरा फैसला जरूरत प्रभावित हुआ है.”
कन्नान ने यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात खुलकर रखने की जरूरत महसूस होती है. जो उन्हें एक लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने का अनुभव कराती है.
2012 बैच के आईएएस अधिकारी कन्नान केरल के कोट्टयम के रहने वाले हैं और फिलहाल सरकार द्वारा इस्तीफा मंजूर किए जाने का इंतजार कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि सरकार को फैसला लेने का अधिकार होता है. लेकिन उतना ही अधिकार लोगों के पास भी है कि वो सरकार के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकें.”
कन्नान ने कहा, “एक सिविल सेवा कर्माचारी के तौर पर मैं सरकार के फैसले के साथ जाता. लेकिन जब लोगों से बोलने और विरोध जाहिर करने के उनके संवैधानिक अधिकार छीन लिए जाएं तो ये बिलकुल भी लोकतांत्रिक नहीं है.
उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “लोगों की सुरक्षा के नाम पर उनसे कोर्ट जाने का अधिकार ले लिया गया, मूलभूत अधिकार रद्द कर दिए गए. जहां आजादी ही नहीं वहां लोकतंत्र का क्या अर्थ.”
कन्नान ने उनके इस्तीफे के लिए जिम्मेदार अन्य कारणों से इनकार नहीं किया है.
सिविल सेवा अधिकारी के तौर पर अपने सात वर्षों के अनुभव को याद करते हुए उन्होंने कहा, “लोगों की सेवा करने के लिए सिविल सेवा मेरे लिए काफी सुखद अनुभव रहा है.”
गोपिनाथन फिलहाल दादर और नगर हवेली में उर्जा और गैर-पारंपरिक स्त्रोतों के सचिव के रूप में कार्यरत हैं.
जब कनन से पूछा गया कि आप एक ऐसी सेवा क्यों छोड़ना चाहते हैं जिसका लाखों लोग सपना देखते हैं तो उन्होंने कहा, “कई बार कुछ बातें बाकी अन्य बातों से बड़ी हो जाती हैं. अगर आज मैं इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाता हूं तो कल मैं खुद को जवाब नहीं दे पाऊंगा.”
वो कहते हैं कि उन्हें लोगों ने काफी समझाने की कोशिश की और कहा कि वो नौकरी ना छोड़ें. कनन ने कहा, “मैं आगे 34 से 35 साल काम सकता हूं. लेकिन मैंने अपने जमीर की आवाज सुन कर ये फैसला किया.”
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि मैं आगे क्या करूंगा या कहां जाऊंगा. मेरे पास घर भी नहीं है. पर देखते हैं…. मुझे पूरा भरोसा है कि मैं कुछ ना कुछ जरूर करूंगा.”