IL&FS के कर्ज वितरण में भारी गड़बड़ी


retail inflation rate increased to 3.99 percent

 

एक ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि IL&FS के 13 हजार करोड़ रुपयों से अधिक के लेनदेन में तमाम तरह की गड़बड़ियों को दरकिनार करते हुए कर्ज दिए गए. इस दौरान हितों के टकराव वाले मामले सामने आए. गहरे वित्तीय संकट वाली फर्मों को भी कर्ज दिया गया.

IL&FS बुनियादी ढांचे के निर्माण से जुड़ी हुई कंपनी है. इस फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर अन्य वित्तीय अनियमितताओं की बात भी सामने आई है. जांच में बहुत सी ऐसी बातें सामने आई हैं, जिनमें कंपनी के निर्देशकों की समिति ने नगदी से जूझ रहे कर्जदारों को ‘नेगेटिव स्प्रेड’ पर भी लोन दिया.

नेगेटिव स्प्रेड वह स्थिति होती है जब दिए गए उधार पर ब्याज दरें उधार लिए गए धन से भी कम होती हैं. ऐसी स्थिति में कर्जदाता कंपनी वित्तीय संकट में फंस सकती है.

ये फारेंसिक ऑडिट रिपोर्ट ग्रांट थॉरटन ने तैयार की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह बांटा गया कर्ज लगभग 4,300 करोड़ रुपये है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है, “ऐसे 18 मामले सामने आए हैं जहां निर्देशकों की समिति ने ऐसे कर्जदारों को कर्ज दिया है जिनके बारे में ये साफ था कि वो पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं. इस बारे में जानकारी मीडिया रिपोर्ट और लेखों के जरिए आम पहुंच में थी. खतरे का आंकलन करने वाली टीम ने भी इस बारे में आगाह किया था.” इस तरह के मामलों में करीब 2,400 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में बांटे गए हैं.

इस दौरान 16 ऐसे उदाहरण हैं जिनमें 1,922 करोड़ रुपये साफ तौर पर वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनियों के नेगेटिव स्प्रेड को जानते हुए भी दिए गए.

इस रिपोर्ट में सात ऐसे मामले हैं जहां कर्जदारों का कर्ज या तो बट्टे खाते में डाला जा चुका था या उनसे संबंधित कंपनियों का कर्ज डूबा हुआ घोषित हो चुका था. पांच ऐसे उदाहरण थे जहां निर्देशकों की समिति ने नकारात्मक जोखिम आंकलन के बावजूद कर्ज दे दिया था.

ऑडिट रिपोर्ट में 29 ऐसे मामले सामने आये हैं जहां करीब 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज ऐसे कर्जदारों को दिया गया जिन्होंने इसका उपयोग पहले से लिए गए कर्ज को चुकाने में किया.

इस रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रोस्टील स्टील, केवीके एनर्जी एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर, पल्लव ट्रेडिंग और देव रिषभ रियल स्टेट ऐसी कंपनियां हैं जिनको नेगेटिव स्प्रेड पर कर्ज दिया गया. कई मामलों में नेगेटिव स्प्रेड 3 फीसदी से कम था. कुछ मामले तो ऐसे भी थे जहां निगेटिव स्प्रेड 7-9 फीसदी के बीच था.

इस दौरान हितों के टकराव के मामले भी सामने आए हैं. रिपोर्ट से साफ हुआ है कि ऐसी फर्मों के नाम पर कर्ज जारी किए गए जिनके प्रमोटर IL&FS समूह के निर्देशन से जुड़े रहे हैं.


Big News