पायल तड़वी कथित आत्महत्या मामले में जांच करेगी आईएमए समिति
जातिगत टिप्पणियों और उत्पीड़न से परेशान होकर कथित आत्महत्या करने वाली पायल तड़वी की मौत की वजहों का पता लगाने के लिए इंडियन मेडिकल एशोसिएशन (आईएमए) ने समिति का गठन किया है.
एसोसिएशन ने पांच सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग समिति का गठन किया है, जो सरकारी अस्पतालों में रेसिडेंट डाक्टरों की स्थिति की समीक्षा करेने के साथ ही पायल की कथित आत्महत्या की वजहों का पता लगाएगी और भविष्य में इन घटनाओं से बचने के लिए सुझाव भी देगी.
26 वर्षीय पायल टोपीवाल नेशनल मेडिकल कॉलेज के गायनेकोलॉजी विभाग में दूसरे वर्ष की रेसिडेंट डॉक्टर थीं. यह कॉलेट बीवाईएल नायर अस्पताल से जुड़ा हुए है.
पायल ने 22 मई को बीवाईएल नायर अस्पताल में अपने कमरे में कथित रूप से फांसी लगा ली थी. परिवार वालों का आरोप है कि अनुसूचित जनजाति से होने के कारण उसके सीनियर डाक्टर्स उसे परेशान करते थे. उनका आरोप है कि पायल को जातिगत टिप्पणियों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता था.
मामले में आरोपी तीन सीनियर महिला डाक्टर भक्ति मेहेरे, हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल पर मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने उन्हें हिरासत में भेज दिया गया है.
पांच सदस्यीय कमिटी के सदस्य डॉक्टर रवि वांगखेड़कर ने बताया,”मामले में कई बातें एक साथ जुड़ी हुई हैं. हम हर बात की तह में जाएंगे. पायल की मौत के सभी कारणों पर विचार किया जाएगा.’ वांगखेड़कर महाराष्ट्र के धुले में सर्जन के तौर पर कार्यरत हैं.
समिति में डॉ. होजी कपाड़िया और सुहास पिंगले, अशोक आधो और चंद्रकांत मास्के शामिल हैं.
डॉक्टर कपाड़िया आईएमए के राज्य अध्यक्ष हैं. वहीं डॉक्टर पिंगले राज्य सचिव हैं.
वांगखेड़कर ने कहा, “इस बात पर भी विचार किया जाएगा कि किस तरह रेसिडेंट डाक्टरों के लिए एक बेहतर कार्यक्षेत्र बनाया जाए.”
आईएमए की ओर से जारी बयान में कहा गया है,”डाक्टरों, विशेषकर सरकारी अस्पताल के रेसिडेंट डाक्टरों का, बुरी और कठिन परिस्थितियों में काम करना, जरूरत से ज्यादा काम का भार इन सब बातों पर गौर करने की जरूरत है.”
जातिगत उत्पीड़न के संबंध में बयान में कहा गया है कि अगर जांच में ये साबित होता है तो ये गंभीर विचार का विषय है.