चिली में सुर्खियां बटोर रही हैं दो कम्युनिस्ट सीनेटर


in chile two communist law makers are making headlines

 

दक्षिण अमेरिका के देश चिली में दो कम्युनिस्ट कानून निर्माता सुर्खियां बटोर रही हैं. कानून निर्माता कमीला वैलेजो और कैरोल कैरिओला ने एक बिल पेश किया है. बिल देश में सप्ताह भर के काम के घंटो को 45 से घटाकर 40 करने की वकालत कर रहा है. दक्षिणपंथ की ओर झुकाव रखने वाले देश के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा इस बिल के खिलाफ हैं.

राष्ट्रपति ने इस बिल को असंवैधानिक बताया है और चेतावनी दी है कि यदि यह पारित होता है तो वे इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे. चिली में राष्ट्रपति के पास यह शक्ति होती है कि वो यह निर्णय ले सकता है कि संसद में किस बिल पर विचार-विमर्श होगा. इस हिसाब से यह बहुत अचंभित करने वाला है कि राष्ट्रपति ने इस बिल को चर्चा के लिए पेश कैसे होने दिया.

वैलेजो और कैरिओला की तुलना अमेरिका की वामपंथी सीनेटर अलेक्जेंड्रिया ओकासियो कार्टेज से की जा सकती है. वैलेजो पहली बार तब सुर्खियों में आईं थीं, जब राष्ट्रपति पिनेरा के पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने असमान शिक्षा व्यवस्था को लेकर छात्र आंदोलन खड़ा किया था.

वहीं कैरिओला ने कम्युनिस्ट पार्टी की युवा सदस्य के रूप में इस आंदोलन में वैलेजो का साथ दिया था. इस आंदोलन को लेकर दोनों एक साथ दूसरे देशों में गई थीं. दोनों 2014 में संसद में शामिल हुईं.

दोनों अपने बिल को उत्पादकता और लोगों की जीवन गुणवत्ता को ऊपर उठाने के लिए जरूरी बता रही हैं. बिल निचले सदन में पास हो चुका है और पोल के मुताबिक इसे चिली में 74 प्रतिशत समर्थन प्राप्त है.

बिजनेस घराने वैलेजो और कैरिओला के इस बिल के सख्त खिलाफ हैं. उनका कहना है कि इसे उत्पादकता घटेगी और श्रम की कीमत 12 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी.

बिल को लेकर दिए गए एक साक्षात्कार में एमआईटी के अर्थशास्त्री रिकार्डो कैबालेरो ने कहा कि चिली के लोग फ्रांसवासियों की तरह काम करना चाहते हैं और एशियाई लोगों की तरह बनना चाहते हैं, इसमें से केवल एक ही चीज हो सकती है.


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