मप्र डायरी: शह-मात के खेल में राजनीतिक ‘चालबाजियां’ ट्रैप
मध्य प्रदेश में एक हफ्ते पहले तक अतिवृष्टि पर सरकार को घेर रही बीजेपी अचानक सरकार गिराने के लिए ‘हुस्न’ का इस्तेमाल करने के अनैतिक प्रयास के आरोपों से घिर गई. गुजरे हफ्ते इसी मुद्दे पर राजनीति गरमाई रही. प्रदेश के नेताओं और नौकरशाहों से जुड़े बहुचर्चित हनीट्रैप मामले में नित नए खुलासे हो रहे हैं. प्रदेश के राजगढ़, छतरपुर और भोपाल की पांच महिलाओं ने मिलकर हनीट्रैप का संगठित रैकेट तैयार किया था. इनके पीछे राजनीतिक और ब्यूरोक्रेसी की ताकत थी. इस रैकेट के जरिए राजनेताओं और सीनियर अफसरों की सीडी बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया गया.
आधिकारिक जानकारी से इतर मीडिया में नेताओं के बयान सुर्खी बन रहे है. हनीट्रैप कांड पर लोक निर्माण मंत्री सज्जन वर्मा ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने सरकार को अस्थिर करने को यह खेल खेला. जब बीजेपी नेताओं के नाम चर्चा में आये तो प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री और बीजेपी नेता भूपेंद्र सिंह ने हनीट्रैप गिरोह की मास्टरमाइंड से जान-पहचान को लेकर कहा कि वे ऐसी किसी महिला को नहीं जानते हैं.
उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की भी मांग कर दी. मगर, आरोप थम न रहे हैं. असल में, एक दूसरे को फांसने के लिये अपनाए गए इस खेल में कई नेता-अफसर ‘टूल’ बन गए. सरकार अस्थिर करने नेताओं की सीडी बनाने की कोशिशों के आरोप तो फिलहाल ‘जिंदा’ हैं. विधानसभा और बाहर सरकार गिराने या ‘सरकार अपने कर्मों से खुद गिर जाएगी’ जैसे बयान देने वाले बीजेपी नेता इन आरोपों का जवाब देना भी नहीं चाहते.
झाबुआ क्या वाकई शक्ति परीक्षण होगा?
चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर दी है. ये सीट विधायक जीएस डामोर के सांसद चुन लिए जाने के बाद खाली हुई है. विधानसभा चुनाव 2018 में बहुमत से 2 सीट पीछे रह गई कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा थी. यदि वह ऐसा कर पाई तो विधानसभा में उसका एक विधायक तो बढ़ेगा ही सरकार की अस्थिरता को लेकर किए जा रहे दावों की भी हवा निकल जाएगी. यह जीत जनता में विश्वास की कायमी का सबूत भी होगी.
यही कारण है कि कांग्रेस यहां पूरा दमखम लगा रही है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे को उम्मीदवार बनाया था. उपचुनाव में उम्मीदवार के सवाल पर बहुत स्पष्टता नहीं है मगर माना जा रहा है कि पूर्व सांसद भूरिया को विश्वास में लेकर जेवियर मेढा को उतारा जा सकता है. बीजेपी संशय में है. यहां वर्तमान सांसद जीएस डामोर अपनी पसंद का प्रत्याशी चाहते हैं. पार्टी का संशय यह कि डामोर विधानसभा चुनाव में भले जीते हों लेकिन लोकसभा चुनाव में झाबुआ विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी हार गई थी.इस अंक गणित को लेकर कांग्रेस अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है.
बड़े नेताओं का विरोध करने पर कांग्रेस सख्त
प्रदेश कांग्रेस में गुजरे हफ्तों में बयानों के कई दौर चले. राजनीतिक रूप से काफी जूनियर मंत्री और नेताओं ने वरिष्ठ नेताओं पर सवाल उठाए. इस बयानों पर हाईकमान ने नाराजी भी दिखाई. दिल्ली से मिले कड़े सन्देश के बाद प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया पहली बार भोपाल आए तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से भी सख्त सन्देश ही दिया.
पार्टी की रणनीति तैयार करने आयोजित बैठक में बावरिया ने साफ किया कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि पार्टी नेता गंभीर होकर बयान देते हैं. बड़े नेताओं के बयान का विरोध करने और सरकार को नुक़सान पहुंचाने वालों के ख़िलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने उन विधायकों-मंत्रियों और नेताओं को भी डांटा जो कार्यकर्ताओं के फोन नहीं उठाते. महासचिव बावरिया का सन्देश कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा में बना रहा.