चीफ जस्टिस पर यौन उत्पीड़न का आरोप- साजिश की तह तक जाएंगेः सुप्रीम कोर्ट ने कहा


in ayodhya case sc asks mediation panel to submit status report by 18th july

 

वकील उत्सव सिंह बैंस ने प्रधान न्यायाधीश को यौन उत्पीड़न मामले में फंसाने के लिए षड्यंत्र रचे जाने के अपने दावों पर सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट जमा कर दी है. रिपोर्ट में आरोप लगाए गए हैं कि कुछ लोग अपने हिसाब से फैसले कराते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह साजिश के आरोपों की तह तक जाएगा और वकील के दावों की सच्चाई के बारे में पता लगाने का प्रयास करेगा. न्यायालय ने कहा कि यदि फिक्सर काम करेंगे और न्यायपालिका के साथ छेड़छाड़ का प्रयास करेंगे तो यह संस्था नहीं बचेगी.

कोर्ट ने कहा  है कि प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच और अधिवक्ता के दावों पर सुनवाई के बीच कोई संबंध नहीं है.

कोर्ट यौन उत्पीड़न के आरोपों में प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ व्यापक साजिश के अधिवक्ता के दावे पर 24 अप्रैल को सुनवाई करेगा.

कोर्ट की ओर से कहा गया, “हम सीबीआई, आईबी, दिल्ली पुलिस प्रमुखों से मुलाकात के बाद अपराह्न तीन बजे वकील के षड्यंत्र संबंधी दावों की सुनवाई के लिए फिर से बैठेंगे.”

सुप्रीम कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों पर सीबीआई, आईबी और दिल्ली पुलिस प्रमुखों को उसके समक्ष पेश होने का आदेश दिया है.

कोर्ट की ओर से कहा गया है कि यह जांच नहीं है, हम सीबीआई, आईबी, दिल्ली पुलिस प्रमुखों से ‘गोपनीय बैठक’ करेंगे और वे न्यायाधीशों से अपराह्न साढ़े बारह बजे चैम्बर में मिलेंगे.

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की सदस्यता वाली विशेष पीठ ने कहा कि सारा घटनाक्रम ‘‘बहुत ही परेशान करने’’ वाला है क्योंकि यह देश में न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित है.”

पीठ ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता के इस अनुरोध को ठुकरा दिया कि इस मामले की न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल से जांच करायी जाये. पीठ ने कहा कि इस समय न्यायालय किसी भी प्रकार की जांच में नहीं पड़ रहा है.

पीठ ने कहा, “यह कोई जांच नहीं है. हम इन अधिकारियों से गुप्त मुलाकात कर रहे हैं. हम नहीं चाहते कि कोई भी साक्ष्य सार्वजनिक हो.” पीठ ने इन अधिकारियों को अपराह्न 12.30 बजे न्यायाधीशों के चैंबर में उपस्थित होने का निर्देश दिया.

पीठ ने कहा कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो और गुप्तचर ब्यूरो के निदेशकों और दिल्ली के पुलिस आयुक्त से मुलाकात के बाद अपराह्न तीन बजे इस मामले में आगे सुनवाई की जायेगी.

वकील उत्सव सिंह बैंस ने अपने दावे के समर्थन में सीलबंद लिफाफे में कुछ सामग्री पीठ को सौंपी है. उत्सव बैंस ने एक हलफनामा दाखिल करके दावा किया था कि प्रधान न्यायाधीश को यौन उत्पीड़न के आरोपों में फंसाने की कथित फिक्सरों की एक बड़ी साजिश है.

पीठ ने बैंस द्वारा पेश सामग्री के अवलोकन के बाद कहा कि इस मामले में सामने आ रहे तथ्य ‘‘बहुत ही परेशान’’ करने वाले हैं.

इसके साथ ही पीठ ने कहा कि उत्सव बैंस को पूरी सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए क्योंकि न्यायालय नहीं चाहता कि साक्ष्य नष्ट हों या उनके साथ कोई समझौता किया जा सके.

सुनवाई के अंतिम क्षणों में बैंस ने पीठ से कहा कि उनके पास इस मामले से संबंधित कुछ बहुत ही महत्वूपर्ण और संवेदनशील साक्ष्य हैं और उन्हें इस संबंध में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने की इजाजत दी जाये.

कुछ समाचार पोर्टल पर सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का दावा करने संबंधी खबर प्रकाशित हुई थी.

यौन उत्पीड़न मामले में आया नया मोड़

यौन उत्पीड़न के इस सनसनीखेज मामले में 20 अप्रैल को असामान्य और अप्रत्याशित सुनवाई के बाद बैंस ने यह हलफनामा दाखिल किया था. हलफनामे में उन्होंने दावा किया कि उन्हें शीर्ष अदालत की पूर्व महिला कर्मचारी का प्रतिनिधित्व करने और प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ प्रेस क्लब आफ इंडिया में प्रेस कांफ्रेस के लिये डेढ़ करोड़ रूपए देने की पेशकश की गयी थी.

बैंस ने हलफनामे के 17वें पैरे में कहा है, “19 अप्रैल, 2019 को एक बहुत ही भरोसेमंद व्यक्ति ने पूरी गोपनीयता की शर्त पर पूरे भरोसे के साथ उन्हें एक कार्पोरेट हस्ती के बारे में बताया जिसने इस न्यायालय में सूचीबद्ध एक महत्वपूर्ण मामले में अपने पक्ष में आदेश प्राप्त करने के लिये उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश से संपर्क किया परंतु वह असफल रहा.”

“इसके बाद उस कार्पोरेट हस्ती ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के उस न्यायाधीश के न्यायालय से स्थानांतरित कराने का प्रयास किया परंतु इसमें भी सफलता नहीं मिली और प्रधान न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देने के लिये दबाव डालने के लिये उन्हें यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में फंसाने के लिये कथित फिक्सर और उसके साथियों के साथ हाथ मिलाया.”

इसी तरह, हलफनामे के 20वें पैरे में अधिवक्ता ने कहा है, “वह उस कार्पोरेट हस्ती की संलिप्तता वाली चुनिन्दा घटनाओं को जानता है और घटनाओं और इसमें संलिप्त व्यक्तियों की सूची सीलबंद लिफाफे में इस न्यायालय को सौंपेगा यदि उसे ऐसा करने का निर्देश दिया गया.”

जमानत रद्द करने को लेकर 23 मई को होगी सुनवाई

दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी की जमानत रद्द करने के लिए पुलिस की ओर से दायर याचिका पर 23 मई को सुनवाई करेगी.

सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी पर धोखाधड़ी एवं धमकी देने का आरोप है.

मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मनीष खुराना ने यह देखते हुए कि मामले में शिकायतकर्ता को पुलिस की याचिका की प्रति नहीं दी गई है मामले की सुनवाई स्थगित कर दी.

मामले की सुनवाई बुधवार को ही होनी थी.

कथित धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी और आपराधिक साजिश रचने के अपराध में महिला के खिलाफ तीन मार्च को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस सिलसिले में यहां तिलक मार्ग पुलिस थाना को हरियाणा के झज्जर निवासी नवीन कुमार से एक शिकायत मिली थी.

कुमार ने आरोप लगाया था कि शीर्ष न्यायालय की पूर्व कर्मचारी ने उनसे 50,000 रुपये की धोखाधड़ी की है जिसे उसने अदालत में नौकरी दिलाने के एवज में रिश्वत के तौर पर लिया था.


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