लचर होती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर भरोसा जीतने की कोशिश में वित्त मंत्री


total government liabilities rise to 88.18 lakh crores in first trimester

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंदी के कगार पर पहुंचती भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जो उपाय सुझाए हैं, उन पर गौर किया जाना जरूरी है.

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार सुस्त अर्थव्यवस्था से बेखबर नहीं है. सरकार की मंशा है कि कुछ फैसलों को बदला जाए और कुछ में सुधार की जाए जिससे अबतक लोगों की भावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

वित्त मंत्री ने मौजूदा अर्थव्यवस्था को लेकर जो बातें कही हैं उसे सकारात्मक माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि यह दोबारा से भरोसा जीतने की ओर एक कदम है.

दूसरी ओर, घोषणा किए गए उपायों से बाजार और भरोसे के संकट से जूझती अर्थव्यवस्था को ज्यादा फायदा पहुंचने के आसार नहीं हैं. इस एलान के बाद सरकार को आलोचनाओं से बचने का मौका मिलेगा. सरकार की लगातार आलोचना हो रही है कि वह उपभोगताओं का भरोसा जीतने के लिए कोई उपयोगी कदम नहीं उठा रही है.

घरेलू और विदेशी निवेशकों को राहत देने के लिए सरचार्ज को हटा देने से सोमवार तक स्टॉक बढ़ सकता है. लेकिन बाजार सरकार की ओर इस उम्मीद से देख रही है कि क्या वह अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर खींचने वाली वास्तविक कारणों से निपटती है या नहीं.

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध पर भी बाजार अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है. इसके साथ ही भारतीय मुद्रा में गिरावट होने वाले प्रभावों पर भी बाजार की नजर है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 33 उपाय सुझाए हैं. इन 33 उपायों को 5 हिस्सों के अंदर बांटा गया है. इनमें कराधान, बैंक/एनबीएफसी/एसएमई, वित्तीय बाजार, इंफ्रास्ट्रक्चर और मोटर वाहन क्षेत्र शामिल हैं. यह सभी क्षेत्र वर्तमान आर्थव्यवस्था से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं जिससे इन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों की नौकरियां गई हैं.

वित्त मंत्री के सुझाए उपायों में से दो उपायों को अगर लागू किया जाता है तो इससे छोटे और मध्यम उद्यमों को राहत मिल सकती है. इसमें 30 दिनों के भीतर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बकाया का भुगतान करना और छोटे और मध्यम उद्यमों के बकाया भुगतान को मंजूरी देना शामिल है. इसके अलावा सीतारमण ने अगले तीन महीनों में 60 हजार करोड़ रुपये बकाया के भुगतान का वादा किया है. अगर सरकार यह कदम उठाएगी तो इससे छोटे और मध्यम उद्यमों को तरलता के आभाव से राहत मिलेगी.

सीतारमण ने प्रधानमंत्री के संदेश को दोहराते हुए कहा कि सरकार धन सृजनकर्ताओं का सम्मान करती है.

इससे पहले सरकार ने 2 से 5 करोड़ रुपये और 5 करोड़ से अधिक की आय वाले लोगों पर 3 फीसदी और 7 फीसदी सरचार्ज लगाना बंद कर दिया था. सरकार ने कहा कि धन सृजन करने वालों के लिए खुद के लिए धन बनाना अभी भी एक पाप बना हुआ है.

बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनांस कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए किए गए फैसलों से उधार या ऋण बढ़ने की संभावना कम है. ज्यादातर एनबीएफसी और हाउजिंग फाइनांस कंपनियों (एचएफसी) ने बीते कुछ महीनों में आर्थिक संकट के चलते अपनी उच्च श्रेणी की संपत्तियों को बेच दिया है. इसलिए आंशिक ऋण गारंटी शायद ही उपयोगी होगी.

एनएचबी पुनर्वित्त सीमा में 50 फीसदी के साथ 30 हजार करोड़ रुपये तक की बढ़ोत्तरी का मामूली असर पड़ेगा. क्योंकि इस क्षेत्र को पुनर्वित्त से ज्यादा नए वित्त पोषण की आवश्यकता है.

उम्मीद की जा रही है कि 70 हजार करोड़ रुपये से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण से उन्हें वित्तीय फर्मों को ऋण देने में सहायता मिलेगी, यह गलत साबित हो सकता है क्योंकि अधिकांश बैंक पहले ही एनबीएफसी और एचएफसी क्षेत्र में अपना जोखिम उठा चुके हैं.


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