महाराष्ट्र में निर्दलीयों और छोटी पार्टियों की ताक में बीजेपी


independents and smaller parties now have bigger role to play in maharashtra politics

 

महाराष्ट्र की राजनीति में आए सियासी ट्विस्ट के बाद कल देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. जनता और विश्लेषक नेताओं को उनके पुराने बयान दिला रहे हैं, वहीं इस ट्विस्ट में अनिश्चितता अभी बनी हुई है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 54 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली एनसीपी ने दावा किया है कि अजित पवार के साथ गए नेता एनसीपी के संपर्क में हैं. पार्टी नेताओं ने कहा कि पार्टी के केवल पांच विधायक गायब हैं.

वहीं इस घटनाक्रम के बाद निर्दलीयों और छोटी पार्टियों की भूमिक अहम हो गई है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणामों के मुताबिक राज्य में 13 निर्दलीय हैं और 16 विधायक छोटी पार्टियों से आते हैं.

खबरों के मुताबिक 13 निर्दलीयों में से 11 विधायक पहले ही बीजेपी के साथ जाने की घोषणा कर चुके हैं. अन्य पार्टियों की बात करें तो बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) के तीन विधायक हैं. पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (पीडब्ल्यूए), युवा स्वाभिमान पार्टी (वाईएसपी) और जन स्वराज शक्ति के एक-एक विधायक हैं, जिन्होंने बीजेपी का समर्थन करने का एलान किया है. बीजेपी की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय समाज पक्ष का एक विधायक है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम)(2), समाजवादी पार्टी (2) और सीपीएम (1) को छोड़कर बीजेपी सभी निर्दलीयों और छोटी पार्टियों से समर्थन की उम्मीद कर रही है.

सपा के राज्य प्रमुख अबु आजमी ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, ‘राजनीति के समीकरणों ने उन्हें शिवसेना को समर्थन देने के लिए मजबूर कर दिया है. हमारा लक्ष्य बीजेपी को सत्ता से दूर रखना है इसलिए ये जरूरी हो गया है कि हम सेना को समर्थन दें.’

एआईएमआईएम ने किसी भी राजनीतिक दल के साथ जाने से इनकार कर किया है. पार्टी सांसद इम्तियाज जलील ने कहा, ‘सभी पार्टियों ने हमसे संपर्क करने की कोशिश की है पर हम इन सभी पार्टियों का विरोध करते हैं इसलिए हम किसी भी दल का समर्थन नहीं करेंगे. हम विपक्ष की भूमिका में रहेंगे भले ही कोई भी सत्ता नशीं हो.’


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