लंबा रास्ता तय कर भारत बना है विश्व कप जीतने का प्रबल दावेदार


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आज विश्व क्रिकेट में भारत एक बेहद मजबूत टीम नजर आती है. इस बार भी भारत को विश्व कप जीतने का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.

हालांकि क्रिकेट विश्व कप के इतिहास में भारतीय टीम हमेशा से ही मजबूत नहीं थी. उसने धीरे-धीरे बेहतर प्रदर्शन कर अपनी जगह बनाई है. साल 1975 में पहला क्रिकेट विश्व कप खेला गया था. भारत ने अपना पहला मैच इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में खेला था. तब तक भारत किस कदर सीमित ओवरों के खेल में कच्चा था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि  इंग्लैंड के 334 रन के जवाब में भारत 3 विकेट खोकर महज 132 रन ही बना सका था.

ये वही मैच था जिसमें सुनील गावस्कर 174 गेंदों पर महज 36 रन बनाकर अंत तक नॉट-आउट रहे. उनके महान क्रिकेट करियर में इस पारी की काफी आलोचना हुई. भारत को इस मैच में 202 रन से  अपमानजनक पराजय झेलनी पड़ी.

तब से लेकर आज तक भारत ने लंबा सफ़र तय किया है. 1975 के बाद से भारतीय टीम ने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलकर खुद को बेहतर बनाया. 1975 में गावस्कर धीमी बल्लेबाजी के लिए जाने गए वहीं 1987 में वे धुआंधार साबित हुए. 1987 का क्रिकेट विश्व कप भारत में खेला गया था. न्यूजीलैंड के खिलाफ एक मैच में गावस्कर ने 88 गेंदों पर 103 रन बनाए.

1983 में विश्व कप जीतकर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2011 में वह दूसरी बार विश्व कप विजेता बना.

अब 12वें क्रिकेट विश्व कप का आगाज गुरुवार 30 मई से होने वाला है. भारत को पहला मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 5 जून को खेलना है. कोहली की टीम अगले पांच हफ्तों तक इंग्लैंड में रहेगी. अगर 14 जुलाई को फाइनल में पहुंचती है तो उसे इंग्लैंड में छह हफ्ते हो जाएंगे.

भारत की बल्लेबाजी उसकी मजबूती है. रोहित शर्मा, शिखर धवन, विराट कोहली और एमएस धोनी मैच का रुख कभी भी बदल सकते हैं. चौथे नंबर पर विजय शंकर की जगह केएल राहुल खेल सकते हैं. भारतीय टीम में ऑल-राउंडर की कमी नहीं है. हार्दिक पांड्या, केदार जाधव, विजय शंकर, भुवनेक्ष्वर कुमार और स्पिनर रविंद्र जडेजा बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों कर सकते हैं. विकेट कीपर धोनी के लिए बैक-अप के तौर पर दिनेश कार्तिक भी टीम में हैं.

तीसरी बार क्रिकेट विश्व कप जीतने में  तेज गेंदबाजी निर्णायक भूमिका निभा सकती है. जसप्रीत बुमराह एकदिवसीय मैचों  में विश्व के सबसे बेहतर तेज गेंदबाज हैं. साथ ही मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार टीम के लिए कभी भी विकेट निकाल सकते हैं. टीम में स्पिनरों युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की भी भूमिका अहम है. बीच के ओवरों में  उनकी गेंदबाजी काफी अहम रहने वाली  है.


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