मानसून में औसत से कम होगी बारिश, खेती पर पड़ेगा बुरा प्रभाव
मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली देश की एकमात्र निजी एजेंसी स्काईनेट ने आशंका जताई है कि इस बार के मानसून में औसत से भी कम बारिश होगी. स्काईनेट के इस पूर्वानुमान से देश के कृषि क्षेत्र में विकास को लेकर बनी संभावनाओं को गहरा धक्का पहुंचा है.
स्काईनेट के मैनेजिंग डायरेक्टर जतिन सिंह ने कहा, “प्रशांत सागर औसत से भी अधिक गर्म हो गया है. इस हिसाब से ‘अल नीनो’ के मार्च से मई के बीच आने की संभावना 80 प्रतिशत है, वहीं जून से अगस्त में यह संभावना 60 प्रतिशत ही है.”
इसका मतलब है कि यह मानसून ‘अल नीनो’ का उतराव देखेगा. हालांकि, पूरे सीजन में इसकी मात्रा सामान्य ही बनी रहेगी लेकिन मानसून में बारिश औसत से कम होगी.
देश में होने वाली कुल वार्षिक बरसात का 70 प्रतिशत हिस्सा मानसून के दौरान होता है. इस हिसाब से मानसून सीजन एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भाग अदा करता है.
इससे पहले फरवरी में स्काईनेट ने मानसून में बरसात के औसत रहने का अनुमान लगाया था. वहीं देश की सरकारी संस्था ने पिछले महीने बताया था कि इस बार मानसून के दौरान ठीक-ठाक बारिश होगी और ‘अल नीनो’ अपनी सामान्य अवस्था में रहेगा.