करतारपुर कॉरिडोर: वीजा-फ्री यात्रा और पुल बनाने पर पाकिस्तान सहमत


india pakistan meet at-wagah border to discuss kartarpur corridor

 

पाकिस्तान की सरकार ने करतारपुर गलियारे में पुल बनाने को लेकर अपनी सहमति दे दी है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि पाकिस्तान करतारपुर गलियारे पर यात्रियों की आवाजाही की सुविधा के लिए पुल बनाने पर सहमत हो गया है. भारतीय श्रद्धालुओं को अब करतारपुर जाने के लिए वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा मिलेगी.

हर दिन 5,000 तीर्थयात्रियों को अनुमति देने की भारत की मांग को देखते हुए, इस्लामाबाद ने भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा-मुक्त यात्रा की अनुमति देने का फैसला किया है.

भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों ने करतारपुर गलियारे की कार्य प्रणालियों और इससे संबंधित तकनीकी मामलों को अंतिम रूप देने के लिए मसौदा समझौते पर चर्चा करने के मकसद से वाघा में मुलाकात की. आठ सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एस सी एल दास ने किया.

भारत ने नवंबर 2019 तक पुल बनकर तैयार होने से पहले कॉरिडोर को चालू करने के लिए अंतरिम व्यवस्था करने की बात कही है. ऐसा इस वर्ष पड़ रही गुरू नानक देव की 550वीं जयंती के अवसर पर किया जा रहा है.

भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान से यह भी अनुरोध किया कि वह गलियारे के साथ-साथ ओसीआई कार्डधारकों के वीजा-फ्री आंदोलन की भी अनुमति दे. यात्रियों को करतारपुर साहिब जाने के लिए केवल एक परमिट लेना होगा.

इसके साथ ही भारत के 10,000 तीर्थयात्रियों को 1974 प्रोटोकॉल के अंतर्गत पाकिस्तान जाने की अनुमति मांगी गई.

यह गलियारा सिख श्रद्धालुओं के लिए गुरदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक साहिब से पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक जाना सुगम बनाएगा.

भारत की चिंताओं से जुड़ा एक दस्तावेज पाकिस्तान को सौंपा गया है, जिस पर पड़ोसी देश ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि भारत विरोधी किसी भी गतिविधि की इजाजत नहीं दी जाएग

करतारपुर साहिब को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने 1522 में स्थापित किया था.

पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे मोहम्मद फैसल ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान क्षेत्र में शांति चाहते हैं. वह नवंबर 2019 में गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के लिए समय पर गलियारा चालू करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.’’

ऐतिहासिक गलियारे की कार्यप्रणालियों को अंतिम रूप देने के लिए पाकिस्तान और भारत के बीच पहले दौर की वार्ता 14 मार्च को अटारी में ऐसे समय में हुई थी जब दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति थी. पुलवामा में 14 फरवरी को हुए जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था.

दूसरे दौर की वार्ता पहले दो अप्रैल को होनी थी लेकिन 10 सदस्यीय पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति में गोपाल सिंह चावला जैसे खालिस्तानी अलगाववादी को नामित किए जाने के बाद भारत ने इसे रद्द कर दिया था.

पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान इस गलियारे के निर्माण के लिए सहमत हुए थे. गुरदासपुर जिले में 26 नवंबर को और इसके दो दिन बाद पाकिस्तान के नरोवाल (लाहौर से 125 किमी दूर) में इस गलियारे की आधारशिला रखी गई थी.


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