मांग और निवेश में कमी के चलते वृद्धि दर सुस्त: वित्त मंत्रालय


industrial output decline by 1.1 percent in august

 

बीते कुछ समय से खासकर पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि सुस्त रही है. ऐसा निजी खपत, निवेश में कमी और निर्यात में रुकावट के चलते हुआ है. इन सबके बावजूद वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत अब भी सबसे तेज वृद्धि दर्ज कर रहा है.

मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है, “बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज विकास कर रही है. ये आने वाले सालों में और तेज गति से विकास करने जा रही है.

हालांकि वित्त वर्ष 2018-19 में ये थोड़ा सुस्त रही है. इसके लिए जिम्मेदार वजहों में व्यक्तिगत खपत कम होना, निवेश में कमी और रुका हुआ निर्यात है.”

रिपोर्ट आगे कहती है कि कृषि क्षेत्र में भी कम वृद्धि हुई है और उद्योगों में कुछ चुनौतियों के साथ विकास जारी है. इसके मुताबिक, “आपूर्ति पक्ष की ओर से कृषि क्षेत्र की सुस्ती को पलटने और उद्योग की वृद्धि को बनाए रखने की चुनौती है.”

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि 2018-19 में थोक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मंहगाई कम हुई है, लेकिन बीते कुछ महीनों में इसमें तेजी देखी जा रही है.

इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी के फीसदी के रूप में चालू खाते के घाटे में वृद्धि हुई है. लेकिन आगे ये ठीक होने के लिए तैयार है.

ये रिपोर्ट कहती है कि जीडीपी में गिरावट के क्रम में 2018-19 की चौथी तिमाही में निजी खपत में कमी आई है. इसकी एक वजह साल के अंत में दो पहिया वाहनों की बिक्री में गिरावट होना भी है.

राजस्व जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरवीएम) लक्ष्य के हिसाब से केंद्र सरकार का राजस्व घाटा कम हो रहा है.

इसमें कहा गया है कि रेपो रेट को घटाकर मौद्रिक नीति ने बाजार में तरलता बढ़ाने की ओर कदम उठा लिया है. इससे मांग में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी.

रिपोर्ट कहती है कि महंगाई में कमी के चलते हमें रेपो रेट में कमी करने का मौका मिला है. हालांकि बीते कुछ समय के दौरान महंगाई में थोड़ी वृद्धि हुई है.

मंत्रालय के मुताबिक चौथी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़ोतरी हुई है. ऐसा ट्रेड बैलेंस में सुधार के चलते हुआ है. मंत्रालय के मुताबिक इससे आयात में सहायता मिलेगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां केंद्र का सकल राजकोषीय घाटा महत्वपूर्ण रूप से कम हुआ है वहीं पूंजीगत खर्च में उतार-चढ़ाव होता रहा है.


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