रियल एस्टेट में गहराते संकट से चौतरफा घिरे बैंक


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आवासीय प्रॉपर्टी मार्केट में सुस्ती के कारण बिल्डर घर बेचने से लेकर प्रोजेक्ट को पूरा करने तक में खासी परेशानियों का सामना कर रहे हैं, जिसके बाद अब क्षेत्र में संकट गहराता नजर आ रहा है.

बिल्डर गैर-बैकिंग वित्तीय कम्पनियों (एनबीएफसी) को ऋण चुकाने में सक्षम नहीं है. द इकोनॉमिक टाइम्स लिखता है कि बैंक से इतर इस क्षेत्र में आधा रुपया एनबीएफसी का है.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (फिच ग्रुप) के मुताबिक 2020 की पहली छमाही में 70 हजार करोड़ रुपये के डेवलपमेंट लोन की अदायगी की जानी है. ऐसे में मौजूदा हालात को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि रियल एस्टेट संकट का प्रभाव बैंकों पर भी देखने को मिलेगा, जिन्होंने एनबीएफसी को कर्ज दिया है या उनके बॉन्ड में निवेश किया है.

आंकड़ें सुझाते हैं कि बीते नौ महीनों में दिवालियापन की गर्त में गए प्रॉपर्टी डेवलपर की संख्या दोगुनी हो गई है. जिससे एनबीएफसी पर दबाव तो बढ़ा ही है.

एक वरिष्ठ बैंकिंग जानकार ने बताया कि प्रॉपर्टी क्षेत्र में मंदी से बैंक तीन तरह से प्रभावित होंगे- पहला उन्होंने एनबीएफसी को ऋण दिए हैं. दूसरा डेवलपर को सीधे तौर पर ऋण और तीसरा, व्यक्ति द्वारा लिया गया ऋण.

सेवानिवृत स्क्वाड्रन लीडर कृष्णन मित्रों ने नोएडा स्थित घर के लिए जेपी डेवलपर को 90 फीसदी कीमत अदा कर दी है. घर पांच साल पहले खरीदारों को सौंपा जाना था लेकिन 2017 में डेवलपर को दिवालिया घोषित कर दिया गया.

प्रॉपर्टी बाजार बीते 3-4 वर्षों से संघर्ष कर रहा है. हालांकि एनबीएफसी में नकदी संकट के चलते ये अब और गहरा गया है, जो बड़ी मात्रा में बड़े डेवलपर और प्रॉपर्टी खरीदारों को ऋण मुहैया करता है.

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड के मुताबिक 30 जून तक 421 रियाल्टार के खिलाफ दिवालिया घोषित करने के प्रक्रिया शुरू हो गई थी. बीते साल 30 सितंबर तक ये संख्या 209 के करीब थी.

वित्त वर्ष 2018-19 में देश के शेड्यूल कमर्शियल बैंकों का एनपीए 1.02 लाख करोड़ रुपये घटकर, 9.34 करोड़ रुपये रहा गया है. पर अब भी भारत का बैड लोन रेशियो सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है.

विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों के मुताबिक रियल एस्टेट में बढ़ता ऋण बड़ी चिंता का विषय है.

सितंबर मध्य में जारी हुई मूडीज़ की रिपोर्ट के मुताबिक येस बैंक और इंडसइंड बैंक की निजी रियल एस्टेट क्षेत्र में सीधे मौजूदगी है. ऐसे में रियर एस्टेट में मंदी से ये दोनों बैंक सबसे अधिक प्रभावति होंगे. वहीं रिपोर्ट के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है.

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने रियल एस्टेट में सुस्ती के संबंध मे कहा कि वो वित्तीय क्षेत्र में स्थिरता पर तैयार हो रही रिपोर्ट में इस क्षेत्र पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे.

प्रमुख प्रॉपर्टी कंसलटेंट अनारॉक प्रॉपर्टी कंसलटेंट्स के मुताबिक देश भर में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट ठप पड़े हैं.

सूत्रों के मुताबिक बिल्डर 25 फीसदी तक की भारी भरकम छूट देने के बाद भी प्रॉपर्टी नहीं बेच पा रहे हैं. हालात ये हैं कि देश भर में रियल एस्टेस की इन्वेंट्री चार साल के उच्चतम स्तर पर है और लगभग 4-5 वर्षों में देश के ज्यादातर हिस्सों में प्रॉपर्टी के दाम भी नहीं बढ़े हैं.


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