निजी कंपनियों से बनी-बनाई ट्रेन खरीदने पर विचार कर रहा है रेलवे


indian railway is planning to by readymade train from private players

 

रेलवे नई ट्रेनों को खुद की यूनिट में बनाने के बजाए निजी कंपनियों से बनी-बनाई ट्रेन खरीदने पर विचार कर रही है. फिलहाल इंटीग्रल कोच फैक्टरी, चेन्नई, मॉडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली और कपूरथला की रेल कोच फैक्टरी की प्रोडक्शन यूनिटों में ट्रेन का निर्माण किया जाता है.

रेल मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई. इस बैठक में ट्रेन और कोच निर्माता भी शामिल हुए. इस बैठक में ट्रेन, इलेक्ट्रिक मल्टिपल यूनिट और मेन लाइन इलेक्ट्रिकल मल्टिपल यूनिट को खरीदने को लेकर बातचीत हुई.

हालांकि सरकार के इस विचार को रेलवे कर्मचारियों के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है. अगर सरकार बनी-बनाई ट्रेन खरीदने की प्रक्रिया अपनाती है तो उत्पादन के काम में लगे बहुत सारे कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है.

बैठक में इस मुद्दे पर बात हुई कि ट्रेन के हिस्सों और उनके निर्माण की चीजों को खरीदने के बजाए पूरी ट्रेन ही क्यों ना खरीद ली जाए. इससे रेलवे को मौजूदा रूप से विश्व स्तरीय तकनीकी मिल सकेगी.

उद्योग जगत की ओर से आए अनुरोध का जवाब देते हुए कहा गया कि खरीद प्रक्रिया के दौरान रेलवे को ईएमयू और एमईएमयू को समूचे तौर पर खरीदने पर विचार करना चाहिए.

बैठक के दौरान ये बात सामने आई कि अगले तीन साल में रेलवे की योजना 2,000 से ज्यादा रेक खरीदने की है. इनमें 320 बंदे भारत एक्सप्रेस के लिए होंगे और 124 कोलकाता मेट्रो के लिए होंगे. ट्रेन के इंजन को छोड़कर बाकी बचे हिस्से को रेक कहा जाता है.

हालांकि इस दौरान रेल मंत्री ने ये भी कहा कि ट्रेन से संबंधित किसी भी तरह की खरीददारी मेक इन इंडिया को ध्यान में रखकर की जाएगी.

इससे पहले भारत की पहली सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस का निर्माण रोक दिया गया था. जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था.

बताया गया था कि वंदे भारत ट्रेनों के डिजाइन में कुछ त्रुटि होने की वजह से काम रुका हुआ है. वहीं रेलवे 97 करोड़ लागत वाले ट्रेन सेटों को बनाने में एक खास कंपनी को फायदा पहुंचाने के आरोपों की भी जांच कर रहा है.

चेन्नई स्थित आईसीएफ इस समय दुनिया की सबसे बड़ी कोच फैक्टरी बताई जाती है. वंदे भारत के रेक का निर्माण इसी फैक्टरी में किया जा रहा था.

आईसीएफ के एक उच्च अधिकारी ने बताया, “हम भारतीय सेना और पड़ोसी देशों के लिए भी कोच का निर्माण करते हैं. यहां की मानव शक्ति, आधारिक संरचना और तकनीकी दुनिया की सबसे बेहतरीन फैक्टरियों में शामिल है. अभी हमारा लक्ष्य 4,000 नए कोच बनाने का है.”

हालांकि बनी बनाई ट्रेन खरीदने का विचार पूर्णतया नया नहीं है. इससे पहले भी चेन्नई मेट्रो के मामले में ऐसा हो चुका है.


Big News