अतार्किक दावों के खिलाफ वैज्ञानिक संगठन


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भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने हाल में कुछ वैज्ञानिकों द्वारा किए गए तर्कहीन और अवैज्ञानिक दावों की निंदा की है. आंध्र प्रदेश (एयू) विश्वविद्यालय के कुलपति नागेश्वर राव ने इंडियन साइंस कांग्रेस (आईएससी) में दावा किया था कि महाभारत के कौरवों का जन्म स्टेम सेल और टेस्ट ट्यूब तकनीक से हुआ था और रावण के पास 24 तरह के विमान थे.

राव के इस बयान पर विवाद गहराता जा रहा है.

बता दें कि पंजाब के जालंधर में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में 106वें इंडियन साइंस कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है. ये कार्यक्रम 3 से 7 जनवरी तक चलेगा.

ब्रेकथ्रू साइंस सोसायटी (बीएसएस) और कर्नाटक रेशनलिस्ट फोरम जैसे प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों के साथ विभिन्न संस्थानों ने इन तर्कहीन और अवैज्ञानिक दावों के खिलाफ आज विरोध प्रदर्शन करने की बात कही है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस हालिया विवाद पर बीएसएस कर्नाटक की सचिव रजनी केएस ने कहा, “साल 2015 में हुए सेशन के बाद ही हम आईएससी संघ के अध्यक्ष से मिले थे. हमने उनसे मुंबई सेशन को लेकर लिखित में अपनी चिंताएं जाहिर की थी. लेकिन फिर इसके बाद मैसूर में भी वही हुआ और आगे भी कुछ ऐसे ही हालात रहे. लोगों को आयोजकों से सवाल करना चाहिए कि वो अपने सेशन की जरीए किसी भी अवैज्ञानिक तथ्य को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं.”

उन्होंने बताया कि बीएसएस आज आंध्र विश्वविद्यालय (एयू) समेत अलग-अलग शहरों में एयू के वाइस चांसलर नागेश्वर राव के दावों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा.

बीएसएस का मानना है कि पौराणिक कथाएं और विज्ञान दो अलग बातें हैं. बीएसएस के मुताबिक “हमें इन दोनों को एक साथ नहीं मिलाना चाहिए. पौराणिक कथाओं से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं, उसमें नैतिक ज्ञान होता है लेकिन ये पूरी तरह अवैज्ञानिक हैं और इसमें कोई भी सिद्धांत नहीं है.”

जाने माने प्रोफेसर और भारतरत्न विजेता सीएनआर राव ने कहा, “मैं कोशिश करता हूं कि आईएससी के किसी सेशन में न जाऊं क्योंकि अगर मैं इस तरह के सेशन में जाऊंगा तो लोगों को लगेगा कि मैं इस दौरान दिए गए तथ्यों और दावों का समर्थन करता हूं.”

वहीं आईआईएसईआर, कोलकता के भौतिकी के प्रोफेसर सोमित्रो बनर्जी ने कहा कि “प्रचीन भारत में चिकित्सा, धातु विज्ञान, गणित के क्षेत्र में हमने बहुत कुछ हासिल किया है. हमें इसका सम्मान करना चाहिए न कि झूठे दावे.”

इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन (आईएससीए) ने कहा है कि वो अपने मंच से किसी भी अतार्किक तथ्य को बढ़ावा नहीं देगा. साथ ही कहा कि देश के सालाना सबसे बड़े वैज्ञानिक सम्मेलन के दौरान आईएससीए सुनिश्चित करेगा कि वो किसी भी अवैज्ञानकि बात को होने से रोके. पर अगर सेशन के दौरान कोई जिम्मेदार व्यक्ति अचानक से कोई अतार्किक बात करता हैं तो ऐसे में हमारे लिए भी इसे संभालना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.

आईएससीए अध्यक्ष मनोज कुमार चक्रवर्ती ने राव के बयान पर हैरानी जताई है. उन्होंने कहा साइंस कांग्रेस के लिए वैज्ञानिकों का एक पैनेल होता है जो व्यक्ति के प्रस्तुति के सार को पढ़ता है. जो मान्य होते हैं बस उन्हीं को प्रस्तुति देने का मौका दिया जाता है. अब हम इस प्रक्रिया के दौरान ओर ज्यादा ध्यान देंगे.

साल 2014 में मुंबई के एक अस्पताल में कार्यक्रम के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि प्रचीन भारत में गणेश जी का सर प्लासटिक से जोड़ा गया था. वहीं बीते साल केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने विकास के सिद्धांत पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए थे.

ऐसे में सवाल ये है कि अगर देश में मौजूद प्रमुख व्यक्ति, जिनके हाथ में प्रमुख संस्थानों की बागडोर है, वो अगर बिना तथ्यों के अतार्किक बयानबाजी करेंगे तो देश किस दिशा में आगे बढ़ेगा.


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