भारत का राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य से 15 फ़ीसदी ऊपर
डीबीएस बैंकिंग समूह के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले आठ महीनों में भारत का राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य से 15 फ़ीसदी ऊपर निकल गया. डीबीएस ने यह भी बताया कि राजस्व की कमी के कारण राजकोषीय घाटा बढ़ा है.
डीबीएस बैंकिंग समूह ने अपनी आर्थिक टिप्पणी में यब भी कहा कि इसके पीछे खर्च अधिक होने जैसी वजह नहीं है.
इससे पहले सरकार के आंकड़े में भी यह बताया गया था कि राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में 114.80 फ़ीसदी पर पहुंच गया.
हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में भी नवंबर अंत तक राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य की तुलना में 112 फ़ीसदी तक पहुंच गया था.
महालेखा नियंत्रक (सीएजी) के आंकड़ों के अनुसार साल 2018-19 के दौरान अप्रैल से नवंबर तक कुल राजस्व संग्रह 8.70 लाख करोड़ रुपये रहा जो कि पूरे वर्ष के बजट अनुमान का 50.40 फ़ीसदी है. पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में राजस्व संग्रह बजट का 53.10 फ़ीसदी रहा था.
आंकड़ों के अनुसार, नवंबर अंत तक सरकार का कुल खर्च 16.13 लाख करोड़ रुपए यानी बजट अनुमान का 66.10 फ़ीसदी रहा है.
डीबीएस ग्रुप रिसर्च की अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि अप्रत्यक्ष कर संग्रह बजट में तय लक्ष्य से काफी नीचे रहा है. इसके अलावा विनिवेश से प्राप्ति भी कमजोर रही है. यह चिंता का विषय है.
टिप्पणी में कहा गया है कि शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह तय लक्ष्य के आधा ही है. इस तरह के राजस्व सामान्य तौर पर वित्त वर्ष के अंत में सुधरते हैं. हालांकि, बाजार को अप्रत्यक्ष कर संग्रह में सुधार की कम ही उम्मीद है.
इसमें कहा गया है कि सरकार के जीएसटी राजस्व की मौजूदा दर को देखा जाए तो यह सालाना बजट लक्ष्य से 70,000 से 80,000 करोड़ रुपये कम बना हुआ है.
इसके अलावा विनिवेश लक्ष्य भी काफी पीछे चल रहा है. विनिवेश से 80,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 20 फ़ीसदी तक ही मिला है.
डीबीएस का कहना है कि रिजर्व बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से अतिरिक्त लाभांश मिल सकता है.
ऐसी अटकलें हैं कि रिजर्व बैंक से 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये मिल सकता है. यह उन 40,000 करोड़ रुपये के अलावा होगा जिसके बारे में केंद्रीय बैंक ने अगस्त, 2018 में कहा था.
हालांकि, इसके साथ ही डीबीएस ग्रुप ने कहा कि राजकोषीय घाटा वर्तमान में लक्ष्य के काफी ऊपर है.