इंडियाज मोस्ट वांटेड: यहां सिर्फ आतंकी पर पकड़ मजबूत है फिल्म पर नहीं!


India's Most Wanted movie review

 

निर्देशक – राजकुमार गुप्ता
कलाकार – अर्जुन कपूर, राजेश शर्मा, प्रशांत अलेक्जेंडर, शांतिलाल मुखर्जी
लेखक – राजकुमार गुप्ता

आतंकी घटनाएं तो आए दिन देश-दुनिया में घटती रहती हैं. लेकिन उन घटनाओं को अंजाम देने वालों को पकड़ने में कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं ये हम नहीं जान पाते. भारत में 2007-2013 के बीच कई जगहों पर बम धमाके हुए थे, जिनमें यासीन भटकल नामक आंतकवादी शामिल था. यासीन भटकल ने अपनी पहचान छुपाने के लिए जिन तमाम नामों का इस्तेमाल किया उनमें एक नाम शाहरुख खान भी रहा. इसका खामियाजा अभिनेता शाहरुख खान को उठाना पड़ा था. इसी कारण कुछ सालों पहले उनको अमेरिका के एक एयरपोर्ट पर रोक लिया गया और उनसे लंबी पूछताछ की गई थी. इसी यासीन भटकल को बिहार पुलिस ने 2013 में पकड़ा था. ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ फिल्म यासीन भटकल को पकड़ने के मिशन पर बनी है.

फिल्म की कहानी में इंडिया का ओसामा कहे जाने वाले युसूफ (सुदेव नायर) को पकड़ने का जिम्मा इंटेलिजेंस ब्यूरो के ऑफिसर प्रभात कुमार (अर्जुन कपूर) को मिलता है. यह दुष्कर काम महज चार दिनों में पूरा करना है और वह भी बिना किसी सरकारी बैकअप, सुरक्षा और हथियार के. उन्हें अपने एक ख़ुफ़िया सूत्र (जितेंद्र शास्त्री) से युसूफ के नेपाल में होने की जानकारी मिलती है. इस कारण प्रभात अपने चार साथियों को लेकर नेपाल जाते हैं. दिल्ली से इस मिशन की परमीशन नहीं मिलती है लेकिन इस अफसर की काबिलियत समझने वाला एक सीनियर प्रभात कुमार पर भरोसा करके इस मिशन को हरी झंडी दे देता है. इस मिशन में अर्जुन कपूर कामयाब होते हैं या नहीं? क्या इतना बड़ा मिशन बिना गोली बरसाए और खाए ही खत्म हो जाता है? इस सब सवालों के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

राजकुमार गुप्ता की यह फिल्म देश के उन गुमनाम हीरोज की दास्तान बयान करती है, जो देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से नहीं हिचकते, मगर उन्हें श्रेय नहीं मिलता. फिल्म में बताया गया है कि ये ‘रवीन्द्र कौशिक’ नाम के एक जासूस की सच्ची कहानी है जो यासीन भटकल को पकड़ने में मदद करता है. कहानी इस बात को भी दर्शाती है कि हमारे इंटेलिजेंस अफसर विषम परिस्थितियों में भी अपने फर्ज के जज्बे को कैसे कायम रखते हैं.

फिल्म में अर्जुन कपूर ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय करने की काफी कोशिश की है. कहीं-कहीं वे काफी जमे भी हैं, लेकिन ज्यादातर उनकी न तो आँखे कुछ बोलती हैं और न ही बॉडी लेंग्वेज डायलॉग और स्थिति के अनुसार ज्यादा चेंज होती है. हां लेकिन वे एक अंडरकवर ऐजेंट तो विश्वसनीय तरीके से लगते ही हैं. अर्जुन ने बिहार के एक ऑफिसर का रोल किया, इसलिए उनका एक्सेंट बिहारी रखा गया हैं. और उन्होंने ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ से बेहतर तरीके से इसे पकड़ा है. इस फिल्म में राजेश शर्मा अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं.

फिल्म सपोर्टिंग एक्टर्स के मामले में अच्छी हैं, क्योंकि इस मिशन के बाकी ऑफिसर्स के किरदार एक्टर्स नहीं लगते. प्रवीण सिंह सिसोदिया, बजरंगबली सिंह, देवेंद्र मिश्रा, जीतेंद्र शास्त्री, आसिफ खान और प्रशांत ने अपने किरदारों के अनुरूप बेहतरीन अभिनय किया है, इस कारण वे वाकई वही कैरेक्टर लगते हैं. अपनी अपीयरेंस, बातचीत, बैकस्टोरी से लेकर रिएक्सन तक में सुदेव नैयर सिर्फ सुनाई देते हैं और सिर्फ इक्के-दुक्के सीन्स में ही दिखाई पड़ते हैं. लेकिन जितेंद्र शास्त्री को बिचौलिए के रोल में देखना बहुत मजेदार लगता है. मगर सुदेव नायर के चरित्र को सही ढंग से बुना नहीं गया,इसलिए वे वेस्ट हो गए हैं.

संगीत की बात करें तो फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक थ्रिलर कहानी के हिसाब से हर जगह बहुत प्रभावी नहीं लगता. हां अमित त्रिवेदी के कुछ गाने हटकर हैं, जो सुनने में अच्छे लगते हैं. फिल्म में मेंडडले की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है. कहानी में दिखाए गए नेपाल के सीन्स और लोकेशन जबरदस्त हैं. ‘इंडियाज़ मोस्ट वॉन्टेड’ में आपको पूरा नेपाल देखने को मिलता है. पहाड़ से लेकर पानी, जंगल और गलियों तक.

इस फिल्म के ट्रीटमेंट में काफी झोल है. राजकुमार गुप्ता ने इससे पहले अपनी निर्देशन की पकड़ दिखाई है लेकिन इस बार वे ऐसा करने में उतने सफल नज़र नहीं आते हैं. बहुत जगहों पर फिल्म अधपकी सी लगती है. इतने सीरियस ऑपरेशन को इतने हल्के में दिखाया गया है, कि लगता ही नहीं कि वो इंडिया के मोस्ट वांटेड को पकड़ने जा रहे हैं या किसी छुटभय्ये बदमाश को!

यूं तो ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ फिल्म एक खुफिया अफसर के एक आतंकवादी को पकड़ने के गोपनीय मिशन पर बनी है. लेकिन मिशन गोपनीय है, ये बात वह अपने साथियों को इतनी बार समझाता है कि मिशन के गोपनीय होने पर शक होने लगता है! इस तरह की कई कमजोरियां फिल्म में साफ़ नजर आती हैं.

राजकुमार गुप्ता ‘आमिर’, ‘नो वन किल्ड जेसिका’, ‘रेड’ जैसी रियलिस्टिक फिल्मों में अपनी साख बना चुके हैं. उनकी तीनों ही फिल्मों को पसंद किया गया था. यह फिल्म भी इंडियन मुजाहिदीन के सरगना यासीन भटकल को पकड़ने की सच्ची घटना पर आधारित है. अपनी इस फिल्म के पेस और माहौल को भी रियलिस्टिक रखा है. मगर एक धीमी थ्रिलर होने के कारण दर्शक कई जगहों पर बोरियत महसूस कर सकते हैं. दो घंटे की यह फिल्म एडिटिंग की दृष्टि से बेहद लचर है, एडिटिंग के स्तर पर फिल्म और कसी हुई होनी चाहिए थी. फिल्म में कई सवाल ऐसे हैं, जो अनुत्तरित ही रह जाते हैं.

फिल्म में बहुत सी खामियां नज़र आती हैं और इस कारण कई जगह अर्जुन कपूर भी हास्यास्पद से नजर आते हैं. क्लाइमेक्स भी कब आया और कब फिल्म खत्म हो गई पता ही नहीं चलता. फिल्म ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ में राजकुमार गुप्ता ने एक जरूरी और सही किस्सा उठाया है. लेकिन कहानी पर पूरा फोकस होने के बाद भी कुछ है जो मिसिंग सा लगता है. असल देशभक्त लोगों की कहानी देखना चाहनेवालों को ये फिल्म पसंद आएगी.


Big News