अप्रैल में बेरोजगारी दर और बढ़कर 7.6 फीसदी पर पहुंची


India's February unemployment rate highest in last four months

 

बीते अप्रैल महीने में भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 7.6 फीसदी पर पहुंच गई है. ये अक्तूबर 2016 के बाद सबसे ज्यादा है. इससे पहले मार्च में ये 6.71 फीसदी पर थी.

ये आंकड़े सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी किए गए हैं.

रॉयटर्स ने सीएमआईई के हवाले से लिखा है, “मार्च में आए बेरोजगारी के आंकड़े एक झलक भर थे, जो अब और ऊपर चढ़ रहे हैं.”

ये प्रधानमंत्री मोदी के लिए बुरी खबर हो सकती है. क्योंकि अभी देश लोकसभा चुनाव से गुजर रहा है. इस दौरान 19 मई को अंतिम चरण का मतदान होना है.

इससे पहले भी विपक्षी पार्टियां बीजेपी को रोजगार और कृषि उत्पादों के कम मूल्य को लेकर घेरती रही हैं.

एक अन्य उद्योग सर्वे में सामने आया था कि फैक्टरी उत्पादन आठ महीने के सबसे निचले स्तर पर है. इसकी वजह चुनाव के चलते मांग में भारी कमी को बताया जा रहा है.

विनिर्माण कंपनियां भी चुनाव के चलते ऊहापोह में हैं कि अगली सरकार कौन सी नीतियां अपनाएगी.

इससे पहले सरकार ने रोजगार से संबंधित आंकड़ों को जारी नहीं किया था. जबकि सरकार ये कह चुकी है कि वे रोजगार के आंकड़े हर साल जारी करेगी.

इसके लिए तर्क दिया गया था कि इसे दोबारा जांचने की जरूरत है. वैसे आमतौर पर सरकार हर पांच साल में रोजगार के आंकड़े जारी करती है.

सरकार के इन आंकड़ों को छिपाने के प्रयास के बावजूद एक समाचार पत्र ने इन आंकड़ों को लीक कर दिया था. जिसके बाद खुलासा हुआ था कि बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा है.

इससे पहले सीएमआईई ने जनवरी में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि 2018 में लागू नोटबंदी के चलते एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी नौकरी खो दी थी.

इसके बाद लागू जीएसटी की वजह से भी लाखों छोटे उद्योगों को बहुत नुकसान हुआ था.

सरकार ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि नोटबंदी के रोजगार पर प्रभाव को लेकर उसके पास कोई आंकड़े नहीं हैं.


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