किसी की पत्नी से अलग मेरी व्यक्तिगत हैसियत है: इंदिरा जयसिंह


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महिला दिवस से ठीक पहले एक रोचक वाकया सामने आया है, जहां महिला किसी पुरुष के उपनाम से अलग अपनी पहचान की वकालत करती नजर आई. ये मामला देश की जानी-मानी अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बीच कोर्ट रूम में हुई बातचीत से जुड़ा है.

दरअसल प्रशांत भूषण पर अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब इंदिरा जयसिंह को उनके उपनाम से संबोधित किया गया. मामले पर कोर्ट की एक टिप्पणी के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने इस मामले में हस्ताक्षेप किया. इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने ग्रोवर से पूछा आप किसका पक्ष रख रहे हैं.

आनंद ग्रोवर ने जवाब में बोल दिया, ‘श्रीमती ग्रोवर’.

इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने पूछा, “इंदिरा जयसिंह नहीं?”

जस्टिस मिश्रा की बात का जवाब देते हुए ग्रोवर ने कहा, “जी हां श्रीमती इंदिरा जयसिंह, ये एक ही नाम हैं.”

इसके बाद कोर्टरूम में बैठे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल बोल पड़े, “आपको कहना चाहिए कि आपकी पत्नी.”

उस वक्त इंदिरा जयसिंह कोर्ट में मौजूद थीं. उनको ये बात बहुत बुरी लगी. उन्होंने अटॉर्नी जनरल से अपनी बात वापस लेने को कहा.

इंदिरा जयसिंह ने कहा, “श्रीमान आप अपनी टिप्पणी वापस लीजिए. मैं अपने आप में एक व्यक्ति हूं.” जयसिंह ने बीच में बोलने के लिए खेद जताया, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया कि वो किसी की पत्नी के अलावा एक व्यक्ति के रूप में अलग अस्तित्व रखती हैं.

जयसिंह ने अपनी बात मजबूती से रखते हुए दलील दी, “हमारी पहचान एक वकील के रूप में है, ना कि किसी की पत्नी या पति के रूप में. इसीलिए हमें अपना नाम बदलने की जरूरत नहीं पड़ी. इसलिए श्रीमती इंदिरा जयसिंह.”

इसके बाद ग्रोवर ने भी अटॉर्नी जनरल की इस टिप्पणी को सेक्सिस्ट बताया.

इतनी सारी बातचीत के बाद अटॉर्नी जनरल ने स्वीकार किया कि इंदिरा जयसिंह एक अच्छी अधिवक्ता हैं. उन्होंने कहा, “वह(इंदिरा जयसिंह) बहुत अच्छी अधिवक्ता हैं.”


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