आर्यों से नहीं जुड़ा था हड़प्पा सभ्यता के निवासियों का डीएनए: शोध


indus valley settlers had distinct origin

 

सिंधु घाटी सभ्यता के एक प्रमुख स्थल राखीगढ़ी से मिले नए डीएनए सैंपल यह बताते हैं कि इस सभ्यता में रहने वालों का उद्गम पूरी तरह से स्वतंत्र था, उनका डीएनए आर्यों से नहीं जुड़ा था. शोधकर्ताओं ने बताया है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का उद्गम यूरेशियाई स्तेपी या प्रचीन ईरानी किसानों से नहीं जुड़ा था. शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि हड़प्पा सभ्यता के समय दक्षिण एशिया के बाहर से बड़े पैमाने पर कोई भी पलायन नहीं हुआ.

राखीगढ़ी के इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व प्रोफेसर वसंत शिंदे ने किया. उन्होंने बताया कि शोधकर्ताओं ने हड़प्पा के एक कंकाल के डीएनए को प्रथम मानव के जीनोम के साथ सफलतापूर्व अनुक्रमित किया और बाद में इसे पुरातात्विक डेटा के साथ मिलाने पर पाया कि दक्षिण एशिया के शिकारी समुदाय का उद्गम पूरी तरह से स्वतंत्र था और उन्होंने ही विश्व के इस हिस्से में योजनाबद्ध जीवनशैली की सभ्यता को जन्म दिया.

प्रोफेसर शिंदे ने बताया, “इस सभ्यता के लोगों में प्राचीन ईरान के किसानों या यूरेशियाई स्तेपी के जीनोम को कोई अंश नहीं है.”

प्रोफेसर ने बताया कि शोध में पता चला है कि दक्षिण एशिया में रहने वाला यही समूह आगे चलकर खेती करने लगा और फिर इसने सिंधु घाटी सभ्यता को जन्म दिया.

शोधकर्ताओं ने बताया कि हड़प्पा सभ्यता के समय पूर्व से पश्चिम में लोगों का विस्थापन हुआ क्योंकि तुर्कमेनिस्तान के गोनूर और ईरान के शहर-ए-सोख्ता में हड़प्पा सभ्यता के लोगों की उपस्थिति के सबूत मिले हैं.

प्रोफेसर शिंदे ने बताया, “सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों ने मेसोपोटामिया, मिश्र और फारस की खाड़ी समेत लगभग समूचे दक्षिण एशिया में व्यापार किया. इस आधार पर लोगों का विस्थापन होना ही था. इस विस्थापन ने मिश्रित आनुवांशिकी को जन्म दिया. नियोजित जीवनशैली की शुरुआत से ही भारत में विजातीय जनसंख्या रखी है.”

असल में प्राचीन यूरोप से प्राप्त डीएनए सैंपलों के अध्ययन से यह पता चला है कि कृषि की शुरुआत अनातोलिया से संबंध रखने वाले कृषक समुदाय के बड़े स्तर पर पलायन से हुई. अनातोलिया वर्तमान के तुर्की में स्थित है.

नया शोध इसी प्रकार के पलायन को ईरान और तूरान में भी दर्ज करता है. इसी समय अनातोलिया से लोग यहां भी आए. हालांकि, दक्षिण एशिया में कहानी अलग है.

शोध में पता चला कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों में ना केवल अनातोलिया से आने वाले लोगों के जीनोम का आभाव है, बल्कि यह भी पाया गया कि इस सभ्यता के लोगों की ईरानी आनुवांशिकता उस समूह की है, जब यह समूह लगभग नौ हजार साल पहले प्राचीन ईरानी किसानों और हंटर-गैदरर्स से अलग हो गया था.

इस आधार पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों में कृषि करने की संस्कृति यूरोप से नहीं आई, बल्कि उन्होंने खुद यह विकसित की.

शोध में यह भी पता चला कि लगभग चार हजार साल पहले यूरेशियाई स्तेपी का पशुपालक समूह, जो भारोपीय भाषाएं लाया, उससे पहले दक्षिण एशिया में बड़े स्तर पर कोई आव्रजन नहीं हुआ.


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