आईओसी प्रतिबन्ध: भारत की मेजबानी पर मंडरा रहा खतरा


IOC suspension: India's hosting rights are in danger

 

दो पाकिस्तानी शूटर्स को नई दिल्ली में हो रहे आईएसएसएफ शूटिंग वर्ल्ड कप में वीजा नहीं मिलने के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने भारत पर भविष्य में कोई भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा आयोजित करने पर रोक लगा दी है.

इंडियन एक्सप्रेस के खबर के अनुसार, इस रोक के बाद भारत में निकट भविष्य में होने वाली बहुत सी प्रतिष्ठित प्रतिस्पर्धाओं पर संकट मंडरा रहा है.  इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं की मेजबानी पर भारत की दावेदारी भी खतरे में पड़ गई है.

मार्च में भारत में इंडियन ओपन बैडमिन्टन टूर्नामेंट का आयोजन होना है. इसके अलावा जून में हॉकी सीरीज का फाइनल और जुलाई में कॉमनवेल्थ टेबल टेनिस सीरीज खेली जानी है. ये तीनों ही टूर्नामेंट आईओसी के आदेश से प्रभावित होंगे.

आईओसी की रोक से भारत का साल 2022-23 के हॉकी वर्ल्ड कप की मेजबानी पर दावा भी अधर में लटक गया है. इस आयोजन के आधार पर ही भारत 2026 यूथ ओलंपिक, 2030 एशियन गेम्स और 2032 में होने वाले ओलंपिक की मेजबानी हासिल करने की तैयारी कर रहा था. जाहिर है इन सब संभावनाओं पर फिलहाल प्रश्नचिन्ह लग गया है.

वहीं अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के सीईओ थैरे वेल ने कहा है कि वे भारत में टूर्नामेंट आयोजित करने से पहले आईओसी की तरफ से और ज्यादा स्पष्टीकरण मांग रहे हैं. इसके बाद ही वे कुछ तय करेंगे.

इस बीच आईएसएसएफ को आईओसी के स्पोर्ट्स डायरेक्टर किट मैकोनेल ने एक पत्र लिखकर कहा है कि भारत में हुई घटना पहली घटना नहीं है जब किसी देश के खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने से रोका गया हो. कुछ महीने पहले कोसोवो की महिला बॉक्सिंग टीम को वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में भाग लेने से रोका गया था.

उन्होंने लिखा है कि यह स्थिति ओलंपिक चार्टर के आधारभूत सिद्धांतों के खिलाफ है. यह सीधे तौर पर ओलंपिक मूवमेंट की भावनाओं का उल्लंघन है. ओलंपिक चार्टर में यह स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी प्रकार की राजनीतिक दखलंदाजी या अन्य किसी वजह के चलते अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में खिलाड़ियों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता.


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