ज़मैटो डिलीवरी बॉयज़ की हड़ताल के पीछे बीजेपी नेता का हाथ!


is bjp involved in zomato beef pork controversy

 

कलकत्ता में ज़मैटो डिलीवरी बॉयज़ कम सैलेरी और ‘बीफ’,’पोर्क’ डिलीवर करने के खिलाफ सोमवार से हड़ताल पर हैं. हफ्फिंगटन पोस्ट ने अपनी एक खबर में खुलासा किया है कि कैसे डिलीवरी बॉयज़ को कम सैलेरी का मामला बीफ और पोर्क की कंट्रोवर्सी में बदल गया.

दरअसल, 31 जुलाई 2019 को फूड डिलीवरी सेवा प्रदाता ज़मैटो से खाने मंगाने वाले एक उपभोक्ता ने एक मुस्लिम डिलीवरी बॉय को भेजने का विरोध करते हुए ट्वीट किया कि लोगों के पास डिलीवरी बॉय का धर्म चुनने का विकल्प होना चाहिए. इसके जवाब में ज़मैटो ने कहा कि “खाने का कोई धर्म नहीं होता, यह अपने आप में धर्म है.”

इसके चार दिन बाद 5 अगस्त को कलकत्ता में ज़मैटो टीम लीडर ने सभी डिलीवरी बॉयज़ को हावड़ा स्थित ऑफिस के पास इकट्ठा किया और उनसे कहा कि उनकी सैलरी कम होने वाली है. जहां पहले कर्मचारियों को प्रति डिलीवरी 60 रुपये दिए जाते थे अब उन्हें 25 रुपये दिए जाएंगे. डिलवरी कर्मचारियों के टारगेट लगातार बढ़ रहे थे लेकिन सैलरी लगातार कम हो रही थी.

एक डिलवरी कर्मचारी ने हफ्फ पोस्ट इंडिया को बताया कि उन्हें प्रोविडेंट फंड, कर्मचारी राज्य बीमा या एक्सीडेंटल बीमा आदि नहीं मिलता है. ओला और उबर ड्राइवर की ही तरह फूड डिलवरी एजेंट अनुंबध के आधार पर भर्ती किए जाते हैं. जिन्हें कंपनियां अमूमन डिलीवरी पार्टनर का नाम देती हैं.

मीटिंग के दौरान एक डिलीवरी एजेंट ब्रिज वर्मा ने कहा कि वो इतने कम पैसों में काम नहीं कर सकते और उन लोगों ने उसी समय हड़ताल पर जाने का फैसला किया.

डिलीवरी बॉयज़ की ये हड़ताल मीडिया की नजरों से तब तक दूर थी जब तक वर्मा संजीव शुक्ला से नहीं मिले थे. संजीव की फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक वो बीजेपी के मेंबरशिप प्रोग्राम के इंचार्ज हैं और बीजेपी उत्तर हावड़ा मंडल 2 के सचिव हैं.

वर्मा ने बताया कि शुक्ला ने 12 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जहां उसने कहा कि ये लोग हड़ताल पर इसलिए हैं क्योंकि ज़मैटो इन लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं करते हुए इन्हें जबरन बीफ और पोर्क सप्लाई करने के लिए मजबूर कर रहा है.

एएनआई को दिए इस छोटे से इंटरव्यू का क्लिप कुछ ही समय में वायरल हो गया और ज़मैटो एक बार फिर खबरों में था.

शुक्ला ने वेबसाइट को बताया कि “डिलीवरी बॉयज़ का अपना धर्म है. अगर आपके हाथ में कोई बीफ रखे तो आपको कैसा लगेगा.” शुक्ला ने जोर देकर कहा, “एक हिंदू पहले हिंदू होता है भले ही वो किसी भी भगवान को माने. जब आप अपना नाम बताते हैं तो आप बता रहे होते हैं कि आपका धर्म क्या है.”

वहीं इन सबके बीच कर्मचारियों को विश्वास हो गया है कि सत्ता तब तक आपकी मांगों को नहीं सुनती जब तक उसे धार्मिक और भड़काने वाली भाषा में ना पेश किया जाए.

इसके साथ ही कलकत्ता बीफ बिरयानी जैसे तमाम प्रोडक्ट्स को लेकर कंपनी चिंतित है क्योंकि इससे सीधे तौर पर उसके व्यापार और प्रोडक्ट की मांग पर असर होगा.

वहीं शुक्ला का कहना है कि वो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और ज़मैटो के विरोध प्रदर्शन को किसी राजनीतिक संगठन से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

एक डिलीवरी बॉय ने कहा, “कंपनी हमारी मांगे नहीं सुन रही है. हड़ताल पर बैठे हिंदू डिलीवरी बॉयज़ ने बीफ डिलीवर करने से इनकार कर दिया है, वहीं मुस्लिम डिलीवरी बॉयज़ ने पोर्क डिलीवर करने से इनकार कर दिया है.” इस बीच कंपनी ने इन लोगों का पेआउट फिलहाल रोक दिया है.

ऐसे में हड़ताल पर बैठ कर्मचारियों ने हड़ताल एक हफ्ते और आगे बढ़ा दी है.

कंपनी ने आधिकारिक बयान में कहा, “भारत जैसे विविध देश में यह लगभग असंभव है कि शाकाहारी और मांसाहारी खाने के अनुसार डिलीवरी बॉयज़ को चुना जाए. हालांकि कंपनी इस मामले को सुलझाने का प्रयास कर रही है. कंपनी अपने पार्टनर से चर्चा कर रही है और हमें उम्मीद है कि जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा.”

विशलेषकों का मानना है कि ये मांग यहां रुकने वाली नहीं और इसी तरह की मांग का सामना कंपनी को अन्य जगहों से भी करना पड़ सकता है.


Big News