ईवीएम विवाद: क्या कहता है उत्तराखंड का मामला?


several EVMs important parts are stolen in mp

 

सत्रहवीं लोकसभा चुनाव की मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. 23 मई को मतगणना होगी. ऐसे में देश के विभिन्न हिस्सों से ईवीएम बदलने की शिकायतें सामने आ रही हैं. पत्रकार और विपक्ष के नेता इन मामलों को लगातार सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.

ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें ईवीएम से भरे ट्रक और गाड़ियां स्ट्रांग रूम के पास पहुंच रहे हैं और विपक्षी दलों के कार्यकर्ता उन्हें पकड़कर हंगामा करते नजर आ रहे हैं. इन घटनाओं को लेकर विपक्ष के नेता चुनाव आयोग पर हमलावर हैं. यहां तक पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी इन खबरों पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं.

वहीं चुनाव आयोग ने इन आरोपों को आधारहीन करार दिया है. आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “ईवीएम और वीवीपैट मशीनें राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के सामने ही सील की गई थीं. स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर सीपीएएफ के सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों को स्ट्रॉन्ग रूम पर 24 घंटे नजर रखने की इजाजत दी गई है. ये सभी आरोप आधारहीन हैं.”

कुलमिलाकर चुनाव आयोग का कहना है कि ईवीएम को किसी भी हालत में बदला नहीं जा सकता है. लेकिन क्या सच में ऐसा है? 2017 का उत्तराखंड विधानसभा चुनाव तो कम से कम इस बात को नकारता है.

2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में विकासनगर की आठ और मसूरी एवं राजपुर की चार-चार ईवीएम पोलिंग और मतगणना के दौरान अलग पाई गईं. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कटा पत्थर पोलिंग स्टेशन की एक ऐसी ही ईवीएम की पहचान भी की थी. जज ने कहा था कि जिस ईवीएम से मतगणना हुई, उसका प्रयोग मतदान में नहीं हुआ था.

2017 का यह मामला अभी भी उत्तराखंड हाई कोर्ट में चल रहा है. इस मामले में नवप्रभात ने याचिका डाली थी. वे विकासनगर से कांग्रेस उम्मीदवार थे और पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. सभी ईवीएम हाई कोर्ट के पास जब्त हैं, लेकिन अभी तक कोई जांच नहीं हुई है.

नवप्रभात 2009 में उत्तराखंड के विकासनगर में हुए उप-चुनाव का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि चुनाव के बाद एक गाड़ी में कुछ ईवीएम पाई गईं, इनको रिटर्निंग ऑफिसर के सामने पेश किया गया. लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर ने जांच करने की जगह बस एक साधारण सी एफआईआर दायर कर दी. आज तक ये मामला उत्तराखंड हाई कोर्ट में चल रहा है.

विपक्ष के आरोपों पर चुनाव आयोग ने ये भी कहा है कि कई जगह रिजर्व ईवीएम को लेकर हंगामा मचाया जा रहा है.

इसपर नवप्रभात कहते हैं, “ईवीएम तीन तरह की होती हैं. ट्रेनिंग ईवीएम, वोटिंग ईवीएम और रिजर्व ईवीएम. रिजर्व ईवीएम इसलिए होती हैं कि अगर कोई वोटिंग ईवीएम खराब हो जाए तो उसकी जगह रिजर्व ईवीएम का प्रयोग किया जा सके. वोटिंग के बाद स्ट्रांग रूम के पास रिजर्व ईवीएम रखने का कोई औचित्य नहीं है.”

इन सब बातों के आधार पर कहा जा सकता है कि ईवीएम को बदला नहीं जा सकता.


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