अब ‘गैर-कानूनी’ ऑनलाइन सूचनाएं सरकार की निगरानी में?


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ऑनलाइन कंटेंट पर सरकार की निगरानी अब और सख्त हो सकती है. इंडियन एक्सप्रेस की एक विशेष रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अब सोशल मीडिया समेत विभिन्न ऑनलाइन मंचों को ‘गैर-कानूनी’ सूचना या सामग्री की पहचान करने और उसे हटाने संबंधी तकनीक लगाने के लिए बाध्य कर सकती है.

व्यवहारिक तौर पर, इसका मतलब ये हुआ कि ऑनलाइन मंचों के लिए अब ‘गैर-कानूनी’ सूचनाओं का रिकार्ड रखना अनिवार्य होगा और उसके लिए उन्हें विशेष तकनीक और प्रक्रिया अपनानी होगी. सरकार 72 घंटों यानि तीन दिनों के भीतर ऑनलाइन मंचों से ये रिकार्ड मांग सकेगी.

सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट, 2000 की धारा 79 में संशोधन कर यह नया आदेश जारी करने पर विचार कर रही है. इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडिएट्स के लिए दिशा-निर्देश संशोधन), 2018 मसौदा तैयार किया गया है.

इसकी धारा 3(9) के अनुसार, ऑनलाइन मंचों को ‘गैर-कानूनी’ सूचना या सामग्री की पहचान करने, उन्हें हटाने या उनकी एक्सेस अवरुद्ध करने के लिए उचित तकनीक और प्रक्रिया अपनानी होगी.

मसौदे के नए नियम 3(4) के अनुसार, ऑनलाइन मंचों को अपने यूजर्स को ‘गैर-कानूनी’ सूचनाओं से अवगत कराने के लिए महीनावार चेतावनी देनी होगी.

वहीं, नियम 3(5) के लागू होने के बाद एंड टू एंड एन्क्रिप्शन भी खत्म हो जाएगा. इस एन्क्रिप्शन के जरिए सिर्फ सेंडर और रिसीवर ही मैसेज पढ़ सकते हैं और इसे कोई टेलीकॉम कंपनी ट्रेस नहीं कर सकती. लेकिन नियम 3(5) के बाद, ऑनलाइन मंचों को न सिर्फ एंड टू एंड एन्क्रिप्शन खत्म करना होगा, बल्कि प्रत्येक भेजे गए मैसेज से जुड़ी जानकारी का अलग से रिकार्ड रखना होगा.

जाहिर है कि इससे व्हाट्सएप समेत बहुत से सोशल मीडिया मंचों पर भेजे जाने वाले संदेशों की ‘निजता’ खत्म हो जाएगी. ये सोशल मीडिया मंच एंड टू एंड एन्क्रिप्शन को ही यूजर्स की सुरक्षा और निजता का आधार मानते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नए मसौदे की चर्चा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना-प्रसारण मंत्रालय के एक अधिकारी ने साइबर लॉ डिविजन, फेसबुक, व्हाट्सएप , गूगल, याहू, सेबी और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों से की है.

अगर ये नए संशोधन कानून का हिस्सा बनते हैं तो 50 लाख से अधिक यूजर्स वाले सोशल मीडिया मंचों को 72 घंटों के भीतर सरकार से मांगी गई सूचनाएं साझा करनी होंगी.

उन्हें प्रवर्तन एजेंसियों से 24 घंटे तालमेल स्थापित करने के लिए एक नोडल पर्सन ऑफ कांटेक्ट भी नियुक्त करना होगा. इसके अलावा, ऑनलाइन मंचों को अब सूचनाओं का रिकार्ड 190 दिनों तक रखना होगा, जबकि मौजूदा कानून में यह अवधि 90 दिन है.

ये दिलचस्प है कि केंद्र सरकार ने हाल में ही कंप्यूटर और अन्य संचार उपकरणों को दस केंद्रीय जांच एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने का आदेश जारी किया है. इस पर उसे विपक्ष की ओर से भारी विरोध का सामना करना पड़ा है.

हालांकि केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद के मानसून सत्र में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट, 2000 की धारा 79 में संशोधन करने की बात कही थी. लेकिन आम चुनाव से कुछ महीने पहले यह बात सामने आने से फिर विवाद खड़ा होने की संभावना बन गई है.


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