कर संग्रह में बड़ी गिरावट के मद्देनजर राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को पाना असंभव


crisiil scales down gdp growth rate of current fiscal year

 

आरबीआई से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये मिलने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा के तय लक्ष्य के पूरा होने की संभावना नहीं है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने पांच सरकारी अधिकारियों और सलाहकारों के हवाले से खबर दी है कि अर्थव्यवस्था में आई नरमी की वजह से कर संग्रह में बड़ी गिरावट आई है.

अप्रैल से जून की तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर पांच फीसदी हो गई है. यह छह साल में जीडीपी की सबसे कम वृद्धि दर है. सूत्रों के मुताबिक सरकार 2019 के अंत तक राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को जीडीपी का 3.3 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 कर सकती है.

अधिकारियों के मुतबिक कर संग्रह में एक लाख करोड़ रुपये तक की गिरावट हो सकती है. यह इस साल के लक्ष्य 34,400 करोड़ का चार फीसदी है. जीएसटी और आयकर दोनों तरह के कर संग्रह में भारी गिरावट का ट्रेंड दिख रहा है.

एक वरिष्ठ सलाहकार के मुताबिक आर्थिक मंदी की वजह से सरकार की आमदनी में कमी आई है जिससे इस साल राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को पूरा करना संभव नहीं है.

वित्त मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से रॉयटर ने लिखा है कि बाजार में अर्थव्यवस्था की नरमी के संकेत के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जैसे कि एनटीपीसी, जनरल बीमा क्रॉप, हडको के कुछ हिस्सों को बेचने की योजना टाल दी गई है.

सरकार के दो अन्य अधिकारी ने कहा है कि उन्होंने सरकार से आर्थिक नरमी से निपटने और ऑटो व कपड़ा जैसे बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों को उबारने के लिए राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को छोड़ने की सलाह दी है.

कुछ अर्थशास्त्रियों ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी विकास दर का पिछले वित्त वर्ष की तुलना में एक फीसदी कम यानी 5.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है.

अप्रैल से जून की तिमाही में मकान निर्माण की वृद्धि दर घटकर 0.6 फीसदी रह गई है जबकि जून महीने में ऑटो सेक्टर का क्षेत्र 30 फीसदी तक घट गया है. इन औद्योगिक सेक्टर में आई सुस्ती की वजह से जीएसटी और कॉरपोरेट कर संग्रह घटा है. वहीं, नौकरियां खत्म होने की वजह से लोग सामान नहीं खरीद पा रहे हैं और इसकी वजह से भी कर संग्रह में कमी आई है.

सरकार के एक अन्य सलाहकार ने कहा कि रिजर्व बैंक से धन मिलने के बावजूद राजकोषीय घाटा के बढ़ने का अनुमान है.

सार्वजनिक बैंकों के विलय को लेकर भी जानकारों ने चिंता जाहिर की है कि सरकार के इस कदम से बैंकरों का ध्यान बंटेगा, खराब ऋणों पर वसूली में देरी होगी, लाभ में कमी सहित धन संग्रह प्रभावित होंगे.

पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार को बजट के लक्ष्य की तुलना में 11 फीसदी कम राजस्व मिला.  पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी का 3.3 फीसदी के लक्ष्य की तुलना में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.4 फीसदी रहा था.


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