अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ नेशनल कांफ्रेंस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

नेशनल कांफ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और दलील दी कि इन कदमों से वहां के नागरिकों से जनादेश प्राप्त किए बगैर ही उनके अधिकार छीन लिए गए हैं.

याचिका में दलील दी गई है कि संसद द्वारा स्वीकृत कानून और इसके बाद राष्ट्रपति की ओर से जारी आदेश ‘‘असंवैधानिक’’ हैं, इसलिए उन्हें ‘‘अमान्य एवं निष्प्रभावी’’ घोषित कर दिया जाए.

मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने यह याचिका दायर की है. दोनों ही लोकसभा में नेशनल कांफ्रेंस के सदस्य हैं.

लोन जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हैं और मसूदी जम्मू-कश्मीर उच्च-न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जिन्होंने 2015 में अपने फैसले में कहा था कि अनुच्छेद 370 संविधान का स्थाई प्रावधान है.

उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और इसके बाद जारी राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती दी है.

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए दोनों सांसदों ने इस अधिनियम और राष्ट्रपति के आदेश को ‘‘असंवैधानिक, अमान्य एवं निष्प्रभावी’’ घोषित करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया है.

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कानून और राष्ट्रपति का आदेश ‘‘अवैध और संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 के तहत जम्मू कश्मीर के लोगों को दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन’’ है.

दोनों सांसदों ने कहा कि शीर्ष न्यायालय को अब यह देखना चाहिए कि क्या केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन की आड़ में समुचित प्रक्रिया तथा कानून के शासन के अहम तत्वों को नजरअंदाज कर इसके विशिष्ट संघीय स्वरूप को ‘‘एकपक्षीय’’ तरीके से खत्म कर सकती है.

याचिका में कहा गया, ‘‘इसलिए यह मामला भारतीय संघवाद, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संघीय ढांचे के प्रहरी के तौर पर शीर्ष न्यायालय की व्यवस्था के मूल तक जाता है.’’

उन्होंने दलील दी कि भारत संघ में जम्मू-कश्मीर रियासत के शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक विलय को सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद 370 को बेहद ध्यानपूर्वक तैयार किया गया था.

जम्मू कश्मीर से दोनों सांसदों ने वकील महेश बाबू के माध्यम से याचिका दायर कर अपनी दलील दी कि राष्ट्रपति का आदेश और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने से संबंधित नया कानून ‘‘असंवैधानिक’’ है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नौ अगस्त को जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित क्षेत्रों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने से संबंधित अधिनियम को अपनी मंजूरी दे दी. यह कानून 31 अक्टूबर को प्रभाव में आएगा.

31 अक्टूबर को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के तौर पर मनाया जाता है, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद 565 रियासतों को भारत संघ में मिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.

इस सप्ताह की शुरुआत में संसद ने इस अधिनियम पर अपनी स्वीकृति दी थी.


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