शिक्षकों को नोटिस भेजने का जेएनयू प्रशासन का कदम राष्ट्रीय शर्म: FEDCUTA


intellectuals protested against charge sheet issued to jnu teachers

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केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षक संघों के महासंघ (FEDCUTA) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासन द्वारा जेएनयू के ही 48 शिक्षकों को नोटिस जारी करने के कदम की निंदा की है. जेएनयू प्रशासन ने जेएनयू शिक्षक संघ द्वारा आयोजित एक प्रतिरोध मार्च के दौरान दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर 48 शिक्षकों को नोटिस भेजा है.

महासंघ ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि देश की राजधानी में स्थित ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालय के प्रशासन का अपने शिक्षकों के साथ ऐसा व्यवहार राष्ट्रीय शर्म का मामला होना चाहिए.

महासंघ ने कहा कि जेएनयू प्रशासन का यह कदम नागरिकों के तौर पर शिक्षकों को संविधान से मिले उन मौलिक अधिकारों पर हमला है, जिनके तहत उन्हें अभिव्यक्ति, संगठन बनाने और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की आजादी मिलती है.

प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया, “इस बात में जरा भी संदेह नहीं हो सकता है कि जेएनयू प्रशासन का यह कदम शिक्षकों द्वारा विश्विद्यालय के जरूरी मुद्दों और भविष्य को लेकर उठाई जा रही आवाज को दबाने के लिए है. जेएनयू प्रशासन का यह कदम विश्वविद्यालय को सीसीएस नियमों के अंतरगत लाने का एक और प्रयास है, बावजूद इसके कि कुछ महीनों पहले ही मानव संसाधन मंत्री ने आश्वासन दिया था कि सरकार का ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है.”

महासंघ ने आगे कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ हमारा हिस्सा है और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के सभी शिक्षकों की तरफ हम उनके पक्ष में अपना समर्थन व्यक्त करते हैं.

इसके साथ ही महासंघ ने अपील करते हुए कहा कि सार्वजनिक शिक्षा को बचाने के लिए शिक्षकों के आंदोलन पर जो हमला किया जा रहा है, उसके विरोध में देश के पूरे शिक्षक समुदाय को खड़ा होना चाहिए.


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