जेएनयू: दिल्ली हाई कोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव के परिणाम पर 17 सितंबर तक रोक लगाई
दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव के नतीजे जारी करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन को 17 सितंबर तक इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं करने का आदेश दिया है.
दो विद्यार्थियों ने कोर्ट में याचिका दायर कर यह दावा किया था कि चुनाव में लिंगडोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन किया गया है.
जस्टिस संजीव सचदेवा ने इस संबंध में एक नोटिस जारी कर जेएनयू की प्रतिक्रिया मांगी है.
उल्लेखनीय है कि जेएनयू प्रशासन ने कोर्ट के समक्ष पेश होकर कहा कि चुनाव समिति ने लिंगडोह पैनल की सिफारिशों को नजरअंदाज किया है. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए यह आदेश दिया है.
अयोग्य घोषित कर दिए गए एक छात्र अनुज द्विवेदी ने तर्क दिया था कि उनका नामांकन गैर-कानूनी रूप से रद्द कर दिया गया था. वह काउंसिलर पद के लिए लड़ना चाहते थे.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, “तथ्यों और परिस्थियों के मद्देनजर यह आदेश दिया जाता है कि कोर्ट की अगले आदेश आने तक फाइनल रिजल्ट घोषित नहीं किया जाएगा. इसके साथस ही विश्वविद्यालय को भी यह आदेश दिया जाता है कि अगले सुनवाई से पहले नतीजे के संबंध में कोई अधिसूचना नहीं जारी करे.”
इस मामले में पहले याचिकाकर्ता अंशुमन दूबे ने कोर्ट में शिकायत की थी कि स्टुडेंट्स बॉडी ने काउंसिलर्स की सीट को 55 से घटा कर 46 कर दिया था. हालांकि, लिंगडोह पैनल का कहना है कि कर कॉलेज, स्कूल, और विभाग का छात्रसंघ में प्रतिनिधित्व होना जरूरी है. पहले विद्यार्थियों की संख्या के मद्देनजर इसके लिए 55 सीटें थी.
दूबे ने तर्क दिया है कि सीट घटने को लेकर जेएनयू प्रशासन की ओर से कोई मंजूरी नहीं दी गई थी. इस तरह जो चुनाव हुआ है वो लिंगडोह के नियमों का उल्लंघन कर किया गया है.
जेएनयू ने सहमति जताते हुए कोर्ट से कहा है कि चुनाव समिति सीटों को घटाकर जेएनयू छात्र संघ के संविधान को नहीं बदल सकता है.
याचिका में जेएनयू प्रशासन को लिंगडोह समिति की सिफारिशों के तहत चुनाव करवाने के लिए आदेश देने की भी बात कही गई है.
जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने कहा है कि उन्होंने इस संबंध में आदेश नहीं देखा है.
उन्होंने कहा कि मतदान दो चरणों में हुआ है. वोटों की गिनती शनिवार को 9 बजे से शुरू होनी थी. और नतीजे रविवार को घोषित होने थे.