पद्मश्री से सम्मानित बेरोजगार किसान चींटी के अंडे खाकर जीने को मजबूर


jobless farmer and Padma Shri awardee survive on ant egg

 

आपने सुना है कि पद्मश्री जैसा बड़ा नागरिक सम्मान किसी के जीवनयापन में बाधा बन गया हो? ओडिसा के गरीब आदिवासी किसान दायतारी नायक के साथ ऐसा ही हुआ है. इसके चलते नायक अपना पद्मश्री सम्मान वापस लौटाना चाहते हैं.

दायतारी नायक को इसी साल ओडिसा में 3 किलोमीटर पहाड़ खोदकर नहर बनाने के लिए पद्मश्री से नवाजा गया था. अब यही पद्मश्री सम्मान नायक के जीवनयापन में मुश्किलें पैदा कर रहा है. नायक के मुताबिक जिंदा रहने के लिए वे चींटी के अंडे खाने को मजबूर हैं.

75 साल के दायतारी नायक तालाबायतरानी गांव में रहते हैं. ये क्षेत्र खनिज पदार्थों की दृष्टि से बहुत उन्नत है. लेकिन यहां सिंचाई के साधन ना होने की वजह से किसान खेती के लिए पानी से महरूम थे. नायक ने इस सूखे इलाके में सिंचाई के लिए अकेले ही तीन किलोमीटर गोनासिका का पहाड़ खोदकर नहर बना दी. इस नहर से 100 एकड़ भूमि की सिंचाई होती है.

नायक ने ये काम तीन सालों में 2010 और 2013 के बीच किया. इस काम के लिए उनके पास सिर्फ कुदाल और बेल्चा था, उन्होंने इन्हीं से पहाड़ खोदने जैसा दुरूह काम कर डाला. देर से ही सही, लेकिन सरकार ने भी इसके लिए उन्हें सम्मानित किया. लेकिन यही सम्मान अब उनके जीवन में मुश्किलें पैदा कर रहा है.

दायतारी नायक कहते हैं कि सम्मान मिलने से पहले उन्हें आसानी से मजदूरी का काम मिल जाता था. लेकिन पद्मश्री के बाद से लोग उन्हें काम देने से कतराते हैं. उनके मुताबिक लोग कहते हैं कि मजदूरी का काम उनके सम्मान के अनुरूप नहीं है.

नायक के मुताबिक पद्मश्री ने उन्हें कदर गरीबी की ओर धकेल दिया है कि उन्हें अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है. वे कहते हैं, “पद्मश्री ने किसी भी तरह से मेरी मदद नहीं की है. पहले मैं दैनिक मजदूरी किया करता था. लेकिन अब लोग मुझे काम नहीं देते उन्हें लगता है कि ये काम मेरी प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है. अब हम चींटी के अंडे खाकर बसर कर रहे हैं.”

उन्होंने बताया, “अब मैं अपने परिवार को चलाने के लिए तेंदू के पत्ते और आम पापड़ बेचता हूं. सम्मान ने मेरा सब कुछ ले लिया. मैं इसे वापस लौटाना चाहता हूं, ताकि मुझे फिर से काम मिल सके.”

नायक कहते हैं कि 700 रुपये की वृद्ध पेंशन से उनके पूरे परिवार का जीवन यापन संभव नहीं है. उन्हें कुछ दिन पहले इंदिरा आवास योजना के तहत एक घर आवंटित हुआ था, जो कि अधूरा है. इसकी वजह से उन्हें अपने पुराने फूस के घर में ही रहना पड़ता है. निराश होकर नायक ने अपना पद्मश्री तमगा भेड़ों के झोपड़े में टांग दिया है.

नायक के बेटे आलेख जो खुद एक मजदूर हैं, कहते हैं कि उनके पिता से किए गए वादे पूरे नहीं किए गए. उनसे रोड बनाने का वादा किया गया था, और नहर को खराब होने से बचाने का वादा किया गया था. लेकिन ये अधूरे ही रह गए. वे कहते हैं कि उनके पिता इस बात से भी निराश हैं कि लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा है.

कांग्रेस प्रवक्ता सत्य प्रकाश नायक इसका आरोप राज्य की नवीन पटनायक सरकार पर लगाते हैं. वे कहते हैं कि नवीन सरकार की किसानों को लेकर लाई गई योजनाएं बेकार साबित हुई हैं. उन्होंने कहा, “नवीन पटनायक सरकार ने किसानों के लिए कालिया योजना शुरू की. लेकिन उनका प्रशासन उस किसान के लिए कुछ नहीं कर सका जिसने सिंचाई के लिए नहर खोदी. ये निराशाजनक है.”

स्थानीय प्रशासन खुद को इस बारे में अनभिज्ञ बताता है. किओनझार के जिला कलेक्टर आशीष ठाकरे कहते हैं कि वे इस बारे में पता करेंगे कि नायक अपना सम्मान क्यों लौटाना चाहते हैं. उन्होंने नायक की परेशानियों पर सुनवाई की बात कही.


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