कश्मीरी धीमी मौत मरने को मजबूर: सीपीएम नेता तारिगामी


Kashmiri forced to die slow death: Yusuf Tarigami

 

अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद पहली बार जम्मू कश्मीर के किसी राजनेता ने प्रेस कांफ्रेंस की. सीपीआई नेता और पूर्व विधायक युसुफ तारिगामी ने कहा कि कश्मीरी स्वर्ग की इच्छा नहीं रखते हैं, वह केवल आपके साथ चलना चाहते हैं.

तारिगामी पहले कश्मीरी राजनेता हैं जो दिल्ली पहुंचने में कामयाब रहे हैं. जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद बीजेपी नेताओं को छोड़कर पूर्व मुख्यमंत्री सहित सभी नेताओं को नजरबंद रखा गया है. तारिगामी ने दिल्ली पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से बात की.

तारिगामी ने कहा, “सच्चाई है कि कश्मीरी धीमी मौत मरने के लिए मजबूर हैं. हम भी जीना चाहते हैं, एक कश्मीरी, एक हिन्दुस्तानी बोल रहा है यहां. ये मेरी अपील है, हमारी भी सुनें.”

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म करना और राज्य से बिना मशविरा लिए राज्य का पुर्नगठन नरेन्द्र मोदी की निराशा को जाहिर करता है.

तारिगामी ने कहा कि उन्होंने कश्मीर में बहुत बुरे दिन को देखा है लेकिन आज की तरह कभी परेशान नहीं रहे.

उन्होंने कहा, “(कश्मीर में) 40 से अधिक दिनों से शिकंजा कसा हुआ है. वह दिल्ली में ऐसा एक सप्ताह के लिए भी क्यों नहीं करते हैं?”

उन्होंने कहा, “कश्मीरी को कभी भी भारत में शामिल करने के लिए जोर नहीं दिया गया. हम अपनी समझदारी से धर्मनिरपेक्ष भारत से जुड़े थे. आज जिस जुड़ाव को कश्मीर के लोगों और देश के अन्य लोगों ने बड़े परिश्रम से हासिल किया था उसकी हत्या की गई है.

उन्होंने कहा, “कृप्या हमें सुनें. आपने केवल एक को सुना है, कश्मीर के लोगों की भी सुनें. हम मरना और बर्बाद नहीं होना चाहते हैं.”

सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, “सबसे बड़ा मुद्दा लोगों के जीवनयापन का है. आम जनजीवन 40 से अधिक दिनों से प्रभावित है. और किसी को भी नहीं पता है कि यह कब तक चलने वाला है.”

येचुरी ने कहा कि अब भी लैंडलाइन फोन चालू नहीं हैं. तारिगामी और दूसरे नेताओं के आवास के लैंडलाइन कनेक्शन काट दिए गए हैं. कई तरह की किल्लतें हैं, खासकर अस्पताल में दवाई की कमी है.


Big News