क्यों आ रहे हैं किसान दिल्ली, AIKSCC ने बताए कारण


kisan rally call by aikscc in delhi

 

एक तरफ जहां बीजेपी और उसके अनुषंगी संगठन ‘अयोध्या चलो’ का नारा देकर पूरे देश को हिंसा और नफरत की आग में झोंकने पर उतारू हैं. वहीं दूसरी ओर देश भर के किसानों ने अपने हक़ और सम्मान के सवाल पर एकजुट होने के लिए ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया है.

मोदी सरकार किसानों से राहत के वादे करती रही है, लेकिन अपने हक की मांग करने वाले किसानों का हर बार दमन किया गया है. पिछले साल मध्‍य प्रदेश के मंदसौर में किसान हड़ताल के दौरान पांच किसानों को गोली मार दी गई. इसी साल दिल्‍ली आ रहे हजारों शांतिपूर्ण किसानों को बॉर्डर पर ही रोक कर उन पर लाठीचार्ज, आंसू गैस और वाटर कैनन से हमला किया गया.

‘अच्छे दिन’ की जुमलेबाजी और क़र्ज़माफ़ी का झूठा वादा

2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने अच्छे दिन का झूठा वादा करते हुए, देश के किसानों से कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुरूप फसलों का डेढ़ गुना दाम देने का वायदा किया था. लेकिन साढ़े चार साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने ना सिर्फ देश के किसानों के साथ धोखा किया बल्कि अपनी गलत नीतियों के चलते देश को आर्थिक कंगाली के कागार पर खड़ा कर दिया है. मोदी सरकार घाटे की खेती के कारण आत्महत्या को मजबूर देश के किसानों का कर्ज माफ करने को तैयार नहीं है.

वहीं दूसरी ओर सरकार मुनाफ़ा लूट रहे देश के बड़े पूंजीपतियों का साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ़ कर चुकी है. सरकार इनके ना चुकाए गए कर्ज की भरपाई करने के लिए रिज़र्व बैंक के रिज़र्व फंड को हड़पने की जुगत लगा रही है. बीजेपी सरकार की नोटबंदी व जीएसटी के चलते देश के डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी और करोड़ों लोगों का रोजगार ख़त्म हो गया. सरकार नोटबंदी के दो साल बाद भी उसकी आडिट रिपोर्ट को जारी करने से भाग रही है.

आत्महत्या को मजबूर किसान और खाद्य संकट से जूझता देश

मौसम की मार बीमा कंपनियों की मनमानी के चलते किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं. यही वजह है कि किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं. दूसरी ओर सरकारी नीतियों के चलते देश की खाद्य सुरक्षा खतरे में है. इस बीच झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ दिल्ली में भूख से मौत के मामले सामने आये हैं. चाहे बुलेट ट्रेन हो ईस्टर्न फ्रंट कॉरीडोर, वेस्टर्न फ्रंट कॉरडोर हो या देश के राष्ट्रीय राजमार्गों और औद्योगिक गलियारों के साथ ही कोल ब्लॉक परियोजनाएं. सभी के लिए किसानों, आदिवासियों और ग़रीबों की जमीनों का देश भर में बलपूर्वक अधिग्रहण किया जा रहा है. घाटे की खेती के बाद बड़े पैमाने पर देश भर में हो रही बटाई खेती में लगे बटाईदार किसानों को सरकार किसान का दर्जा देने को तैयार नहीं है. मनरेगा योजना लगभग ठप है और भूमिहीनों, खेत मजदूरों को जमीन देने के बजाए पहले से बसे मजदूरों की बस्ती को उजाड़ा जा रहा है.

नफरत-हिंसा की राजनीति नहीं, किसानों को उनका हक़

खरीफ फसल के लिए मोदी सरकार द्वारा घोषित नई एमएसपी में सिर्फ नकद लागत और पारिवारिक श्रम जोड़ा गया है, जो यूपीए सरकार के समय से ही लागू है. यह स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार +C 2 सिस्टम (खेत का किराया और बैंक ऋण के ब्याज) को भी कुल लागत में जोड़कर उसका डेढ़ गुना नहीं है. इसी तरह इस सरकार द्वारा घोषित पीएम आशा योजना किसानों के साथ खुला धोखा है. यह पूरी तरह फेल हो चुकी मध्यप्रदेश सरकार की भावान्तर योजना का ही जारी रूप है. ऐसी स्थिति में खुद के साथ हो रहे इस धोखे से देश भर के किसानों में मोदी सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है. किसानों के समस्याओं की फेहरिश्त काफी लंबी है. आवारा जानवरों की समस्या आज देशव्यापी रूप ले चुकी है. अब मजबूर किसान अपनी मांगो को लेकर “अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति” (AIKSCC ) के मंच तले इकट्ठा हो रहे हैं. ये किसान मोदी सरकार की किसान-विरोधी नीतियों के खिलाफ 29-30 नवंबर को दिल्ली मार्च करेंगे. इसमें देश के कोने-कोने से किसानों के हिस्सा लेने की संभावना है. यह रैली 29 नवम्बर दोपहर 12 बजे आनंद विहार रेलवे स्टेशन, मजनू का टीला गुरुद्वारा, निज़ामुद्दीन तथा होली चौक, बिजवासन से होते हुए रामलीला मैदान जाएगी.


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