गुजरात में शौचालय की कमी कुपोषण की वजह
गुजरात में महिलाओं और लड़कियों का एक बड़ा हिस्सा कुपोषण का शिकार है. राज्य में पुरुषों की तुलना में कुपोषण से जूझने वाली महिलाओं की संख्या ज्यादा है और इसकी सबसे बड़ी वजह शौचालयों की कमी है.
राज्य स्वास्थ्य अधिकारी जयंती रवि कहती हैं कि ग्रामीण इलाकों में शौचालय जैसी आधारभूत सुविधाओं के आभाव में रहने वाली महिलाएं शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक न पानी पीती हैं और न ही खाना खाती हैं. उन्होंने कहा, “वह ऐसा इसलिए हैं ताकि रात के समय वो बाहर शौच जाने से बच सकें और लगातार ऐसा करने की वजह से वो कुपोषण का शिकार हो जाती हैं”.
एक सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि वो राज्य में स्वच्छता मिशन के लिए भी काम कर चुकी हैं. मिशन के तहत उनका काम था कि वो घर-घर जाकर लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करें. काम करने के दौरान उन्होंने पाया कि ग्रामीण इलाकों में पुरुषों की तुलना में महिलाएं और लड़कियां ज्यादा संख्या में कुपोषण की शिकार हैं.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं से बात करने के बाद सामने आया कि वो शाम को लगभग छह बजे के बाद कुछ भी खाती-पीती नहीं हैं ताकि सुबह होने तक उन्हें शौचालय के लिए बाहर न जाना पड़े.
हालांकि वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि गुजरात अब एक खुले में शौच मुक्त प्रदेश है. रिपोर्ट के मुताबिक, शौचालय इस्तेमाल करने के मामले में गुजरात केरल के बराबर आ गया है.
सेमिनार में उन्होंने जानकारी दी कि सरकार राज्य में मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. जैसे कि टेली-मेडिसिन सुविधाएं, आशा कार्यकर्ताओं के लिए टेबेलेट आदि. रवि ने बताया, “गुजरात सरकार आईआईएम अहमदाबाद और सिस्को के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में टेली-मेडिसिन सुविधा देने के बारे में विचार कर रही हैं. हालांकि, अपने शुरुआती दौर में ये एक प्रयोग की तरह ही शुरू किया जाएगा”.
टेली मेडिसिन के तहत अस्पतालों में ई-सेंटर स्थापित किये जाते हैं. जहां कर्मचारी मरीजों की जांच करते हैं. जांच की रिपोर्ट तुरंत इंटरनेट पर अपलोड की जाती है. इंटरनेट से मिली रिपोर्ट का विशेषज्ञ डॉक्टर अध्ययन करते हैं और इलाज की सलाह देते हैं. विशेषज्ञ डॉक्टर दूर बैठे ही दवाइयां लिख देते हैं.
इसके साथ ही सरकार लगभग 11,000 नए हेल्थ और वेल्नेस सेंटर भी बनाने जा रही है.
रवि ने कहा, “इसके अलावा जहां तक बात है स्वास्थ्य सुविधाओं को देने कि तो सरकार लोगों का डेटा इकट्ठा करने और उनकी रिपोर्ट आदि देखने के लिए टेबलेट मुहैया कराने जा रही है. टेबलेट के इस्तेमाल से आशा कार्यकर्ताओं का काफी समय बचेगा”.
रवि के मुताबिक, मुख्यमंत्री अमृत परियोजना से राज्य में करीब 60 लाख 80 हजार से ज्यादा लोग जुड़ें हैं.