मनरेगा में बजट कटौती पर निराश लोगों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के बजट में कमी को लेकर विभिन्न हितधारक और सामाजिक संस्थान चिंता जता रहे हैं. इसी को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों के तमाम महत्वपूर्ण लोगों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की है.
प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में 250 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं. इनमें 90 सांसदों समेत तमाम किसान नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य महत्वपूर्ण लोग शामिल हैं.
इस पत्र में प्रधानमंत्री से मांग की गई है कि इस समय ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में फैली समस्याओं से निपटने के लिए इस योजना को उपाय के तौर पर प्रयोग किया जाए.
खबरों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष खत्म होने से तीन महीने पहले ही सरकार ने मनरेगा के बजट में 99 फ़ीसदी की कमी की है. सरकार ने ये कदम इस साल की शुरुआत में ही उठाया था.
पत्र में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए कहा गया है, “आपकी सरकार ने नौकरी देने और नई नौकरियों के सृजन का वादा पूरा नहीं किया, देश की एकमात्र रोजगार गारंटी योजना को भी धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है.”
साथ ही पत्र में मनरेगा के बजट में कटौती की आलोचना करते हुए कहा गया है, “इसके बजट में गैर कानूनी कटौती, पैसा देने में देरी, कम वेतन देकर योजना को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है.”
हाल ही में दिए गए एक बयान में सांसदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि मनरेगा के बजट में कटौती से गांव और खेती का संकट और भी बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे बेरोजगारी में इजाफा होगा और आय में अंतर और अधिक बढ़ेगा.
पत्र में कहा गया है कि मनरेगा को लागू करने के बजाए इसे विशेष हितों के चलते खत्म करने की कोशिश की जा रही है.
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख लोगों में कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन, कलाकार मल्लिका साराभाई, जय किसान आंदोलन के अविक साहा, मजदूर किसान संगठन के निखिल डे, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, दीपेंद्र हूडा, योगेंद्र यादव और सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय शामिल हैं.