कश्मीर में डर और दहशत के माहौल में गुजर रही है जिन्दगी: रिपोर्ट
महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक पांच सदस्यीय टीम का दावा है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में डर और दहशत का माहौल बन गया है.
एनी राजा, कवलजीत कौर, पंखुरी ज़हीर, पूनम कौशिक और सईदा हमीद समेत कुल पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 17 से 21 सितंबर के बीच कश्मीर के अलग-अलग इलाकों का दौरा किया और हर उम्र के लोगों से बातचीत की. जिसके आधार पर इन लोगों ने एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट को दिल्ली के प्रेस क्लब में को जारी किया गया.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कश्मीर में कुछ भी ठीकठाक नहीं है. भय और दहशत के माहौल में लोग अपनी जिन्दगी गुजार रहे हैं. 10 से 22 साल के उम्र के लड़कों को पुलिस या सेना कभी भी कहीं से उठा लेते हैं और उनका पता तक नहीं चल पाता कि वो कौन से जेल में हैं. स्कूल, कॉलेज, अस्पताल से लेकर ट्रांसपोर्ट सेवाएं ठप है. रिपोर्ट के मुताबिक एक भी क्षेत्र ऐसा नहीं जहां पर कुछ ठीक हो, हर इलाके में डर का माहौल है.
सामाजिक कार्यकर्ता एनी राजा ने बताया कि हम लोग समाज के हर तबके से मिले, बच्चों से लेकर स्कूल स्टूडेंट और बड़े-बूढों तक से मुलाकात की. सबने यही बताया कि जिंदगी बद से बदतर हो चुकी है, हर चीज बंद है, जुल्म की इंतेहा हो चुकी है, ऐसा लग रहा है मानो कश्मीर के अंदर जीनोसाइड चल रहा है.
सीपीआई नेता एनी राजा की मानें तो कश्मीर में कुछ भी ठीक नहीं है. हालात को बहुत ही ज्यादा खराब बना दिया गया है.
टीम की सदस्य पूनम कौशिक ने बताया कि उन्होंने अपने इस पांच दिनों के दौरे पर वकीलों और डॉक्टरों से मुलाकात की. वकीलों ने बताया कि बड़ी संख्या में वकीलों पर पीएसए लगाकर उन्हें जेलों में बंद कर दिया गया है. माहौल इतना ज्यादा खराब है कि बार काउंसिल के दफ्तर में ताला लगा हुआ है. लोगों से बात करके ऐसा लग रहा था मानो यहां कानून का राज ही नहीं, ज्यूडिशियल पैराडाइज हो गई है.
उन्होंने कहा, “वहां के लोगों ने बताया कि हमारा गला दबाकर रखा गया है और कहा जा रहा है कि खुश रहिए. डॉक्टर को हॉस्पिटल नहीं आने दिया जाता, परेशान किया जाता है.”
कौशिक ने कहा कि लोगों से बात करके ऐसा लग रहा था कि लोग डर और दहशत के माहौल में जी रहे हैं, कई महिलाओं ने बताया कि उन्हें डर लगता है कि कब आर्मी वाले उनकी इज्जत पर हाथ डाल दें.
सामाजिक कार्यकर्ता सईदा हमीद ने बताया कि हम यहां आज कश्मीरियों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं ये उन्हें नहीं पता, क्योंकि वो लोग लोहे के पिंजरे में बंद हैं. टीवी इंटरनेट सब बंद है. केवल कुछ लोकल अखबार निकलते हैं वो भी छपने से पहले उस अखबार को सरकारी निगरानी से गुजरना पड़ता है. 13 हजार से ज्यादा बच्चे उठा लिए गए उनका कुछ पता नहीं कि कहां हैं. उनकी फसल बर्बाद हो रही है, उनकी दुकानों पर ताले लगे हुए हैं, उनकी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही है और सरकार कहती है कि सब ठीक है.
कश्मीर दौरे से लौटीं ये सामाजिक कार्यकर्ताएं अपनी इस फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट को गृह मंत्रालय को सौंपेंगी. और सरकार से अपील करेंगी कि कश्मीरियों के साथ इंसाफ किया जाए, जो लड़के गायब हुए हैं उनकी जानकारी सार्वजनिक की जाए और तत्काल प्रभाव से सेना को हटाया जाए.