बीजेपी को मिलेगा चुनाव तारीखों का राजनीतिक लाभ?


ex administrative officers alleged election commission of irregularities

 

रविवार को निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव-2019 की तारीखों का एलान किया. आयोग ने कहा कि हर राज्य में चुनाव की तारीखें तय करते समय उसने सुरक्षा कारणों का ध्यान रखा. उसका तर्क है कि उसने इसी आधार पर जम्मू-कश्मीर में आम चुनाव विधान सभा चुनाव के साथ नहीं कराने का फैसला किया. इसके अलावा कुछ राज्यों में पहले के मुकाबले ज्यादा चरणों में चुनाव कराने का फैसला भी सुरक्षा कारणों से प्रेरित था.

आयोग की ओर से दिया गया सुरक्षा कारणों का ये तर्क भले ही सतही तौर पर वाजिब लगे, लेकिन सच तो ये है कि बीजेपी राजनीतिक तौर पर इन फैसलों का लाभ लेने की स्थिति में आ गई है. उसे उम्मीद है कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कई चरणों में वोटिंग होने का उसे फायदा होगा. यही वे राज्य हैं जिनमें पार्टी उत्तर भारत के राज्यों में अपने वोट बैंक में गिरावट की भरपाई की संभावनाएं तलाश रही है.

21 लोकसभा सीटों वाले ओडिशा में पिछली बार दो चरणों में चुनाव हुए थे तो इस बार आयोग ने ओडिशा में चार चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया है. वहीं पश्चिम बंगाल में इस बार प्रत्येक चरण में वोटिंग होनी है. इसके उलट पिछले चुनाव में वहां पांच चरणों में वोटिंग हुई थी.

पार्टी का मानना है कि इन राज्यों में पिछली बार के मुकाबले ज्यादा चरणों में मतदान होने से वह अपनी चुनावी तैयारियां ज्यादा व्यवस्थित ढंग से कर पाएगी. उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपनी चुनावी रैलियों की योजना बनाने में सुविधा होगी.

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कहते रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी 42 में से 23 सीटें जीतेगी. एक पार्टी नेता ने स्वीकार किया है कि पश्चिम बंगाल में ही प्रधानमंत्री मोदी की सबसे ज्यादा चुनावी रैलियां होंगी.

आयोग के फैसले की विसंगति दक्षिण भारत के राज्यों में चुनाव की तरीखों पर नजर डालने से और साफ़ हो जाती है. कर्नाटक की 28 सीटों पर उसने दो चरणों में मतदान कराने का फैसला किया है जबकि पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीटों के बावजूद केवल एक चरण में मतदान होने हैं. कर्नाटक ही वह राज्य है जहां बीजेपी विधान सभा चुनाव में मिली हार के बाद जेडीएस-कांग्रेस सरकार को गिराकर अपनी राजनीतिक जमीन हासिल करने की कोशिश में है. उस पर वर्तमान सरकार के विधायकों को घूस देने जैसे  गंभीर आरोप भी लगे हैं.

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड में चार चरणों में होने वाले मतदान से भी उन्हें राजनीतिक लाभ मिलेगा. महाराष्ट्र में पिछले आम चुनाव में 3 चरणों में मतदान हुए थे. माना जा रहा है कि इस बार चार चरणों में मतदान होने से प्रधानमंत्री मोदी को महाराष्ट्र में रैलियां आयोजित करने का समय मिल जाएगा.

वैसे स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने आयोग से इन सभी विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए कुछ सवाल पूछे हैं. उन्होंने पूछा है कि पश्चिम बंगाल में 7 चरणों में चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं.


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