तीन तिमाहियों में सबसे कम रही आर्थिक वृद्धि दर


central government refuses to share information on black money

 

देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी (जुलाई-सितंबर) तिमाही में 7.1 प्रतिशत रही है. यह पहली तिमाही की तुलना में कम है. हालांकि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के मुकाबले यह अधिक है.

सरकार के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार स्थिर मूल्य (2011-12) के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रही थी.

आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा ‘निराशाजनक लगता’ है लेकिन चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही का आंकड़ा काफी बेहतर है.

गर्ग ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत निराशाजनक लगती है. विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत और कृषि वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत रही जो ठीक ठाक रही. निर्माण क्षेत्र की वृद्धि 6.8 प्रतिशत और खनन क्षेत्र में 2.4 प्रतिशत की गिरावट मानसून के महीनों की कमी दिखाता है.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के बयान के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 33.98 लाख करोड़ रुपये रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 31.72 लाख करोड़ रुपये पर थी. यह 7.1 प्रतिशत वृद्धि दर्शाती है.

देश की आर्थिक वृद्धि दर इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही ‘अप्रैल-जून’ में 8.2 प्रतिशत रही. पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही ‘जनवरी-मार्च’ में यह 7.7 प्रतिशत रही. इस प्रकार सितंबर 2018 में समाप्त दूसरी तिमाही के ताजा आंकड़े 7.1 प्रतिशत तीन तिमाहियों में सबसे कम रहे हैं. हालांकि पिछले साल की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर इससे भी कम 7 प्रतिशत रही थी.

दूसरी तिमाही में स्थिर मूल्य (2011-12) पर देश का सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 31.40 लाख करोड़ रुपये आंका गया जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 29.38 लाख करोड़ रुपये था. यह वृद्धि 6.9 प्रतिशत रही.


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