मध्य प्रदेश डायरी: बीजेपी में आम चुनाव को लेकर खींचतान
बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में हारकर अपनी सत्ता भले ही खो दी है, मगर उसे इस बात का इत्मिनान है कि उसका मत फ़ीसद कांग्रेस को मिले मतों से थोड़ा सा ज्यादा है. सार्वजनिक रूप से यह तर्क देकर बीजेपी नेता तसल्ली पा रहे हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव की अंदरूनी चिंता बनी है. बीजेपी ने अपने आनुषंगिक संगठनों को चुनावी तैयारियों में लगा दिया है.
लोकसभा की 29 में से 26 सीटों पर कब्जा जमाए बैठी बीजेपी को इस बार इतनी सीटें पाना असंभव लग रहा है. यही कारण है कि सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने क्षेत्र में समय न दे पाने का कारण बताते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ दिया था.
वर्तमान अध्यक्ष राकेश सिंह भी जबलपुर से सांसद हैं. विधानसभा चुनाव में महाकौशल क्षेत्र में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन ने उनकी भी चिंता बढ़ा दी है. वे भी इस फिक्र में हैं कि प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारियों में क्षेत्र अछूता ना रह जाए. ऐसा हुआ तो लोकसभा सीट खतरे में पड़ जाएगी.
राकेश सिंह भी कोशिशों में जुटे हैं कि उन्हें पद से मुक्ति मिल जाए. वे जरूर सोच रहे होंगे कि कहीं ऐसा ना हो कि ‘किला’ जीतने के चक्कर में अपना गढ़ खो बैठें.
परंपराओं में खास बदलाव नहीं
बीजेपी शासन के दौरान मंत्रियों ने पूजा-पाठ के साथ ही अपना पद संभाला था. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो अपने कार्यक्रमों में कन्या पूजन भी किया करते थे.
‘वक्त है बदलाव का’ नारा देकर सत्ता में आई कांग्रेस के मंत्रियों ने जब मंत्रोच्चार के बीच पद संभाला तो कई लोग हैरत में पड़ गए. वे मान कर चल रहे थे कि बीजेपी के जाने के बाद सरकारी कामों में पूजा पाठ की भी विदाई हो जाएगी.
इस धारणा के विपरीत कांग्रेस के मंत्रियों के पद्भार के समय आस्था के कई रंग दिखाई दिए. स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी के पद संभालने के दौरान तो कन्या पूजन हुआ. तो अन्य मंत्रियों ने अपने कक्ष में देव प्रतिमाएं भी रखीं. मंत्रालय और इसके बाहर भी ये आम चर्चा का विषय रहा.
चर्चा में मंत्री जीतू पटवारी की सक्रियता
खेल और उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी अपनी सक्रियता के लिए जाने जाते हैं. विपक्ष में रहने के दौरान भी वे तीखे विरोध से सत्तापक्ष की नींद उड़ाने वाले कांग्रेसी विधायकों में शुमार किए जाते थे.
वे अब अति सक्रिय मंत्रियों में भी गिने जा रहे हैं. वह शपथ ग्रहण के दिन ही सुबह साथी विधायक कुणाल चौधरी के साथ स्टेडियम में अभ्यास करते दिखे. वह बाद में राजधानी के प्रतिष्ठित कॉलेज का औचक निरीक्षण करने पहुंच गए.
मंत्रालय में हुई मुख्यमंत्री कमलनाथ की पहली पत्रकार वार्ता में वे सूत्रधार की भूमिका में आए. तब कयास लगाए जाने लगे थे कि उन्हें शायद जनसंपर्क विभाग दिया जाएगा. उन्हें भले ही यह विभाग ना मिला हो, लेकिन कमलनाथ कैबिनेट बैठक के बाद हुई मीडिया ब्रीफिंग में वे जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा से आगे रहे. पटवारी की यह सक्रियता चर्चा के केन्द्र में है.
समय के पाबंद सीएम और मंत्रियों की लेटलतीफी
मुख्यमंत्री कमलनाथ जितनी सीधी बात करते हैं उतने ही समय के पाबंद भी हैं. उनकी समय की पाबंदी अभी से अधिकारियों और मंत्रियों के लिए आफत बन गई है. बैठकों के अलावा मुख्यमंत्री सार्वजनिक कार्यक्रम में भी समय पर पहुंचकर चौंका रहे हैं. शनिवार को ऐसा ही हुआ जब वे भोपाल-हैदराबाद फ्लाइट का शुभांरभ करने तय समय से पांच मिनट पहले पहुंच गए.
उस वक्त तक कांग्रेस नेता और कई अफसर भी एयरपोर्ट नहीं पहुंचे थे. खुद विभागीय मंत्री पीसी शर्मा भी देरी से पहुंचे. लेकिन, बीजेपी सांसद आलोक संजर और बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा आयोजन स्थल पर मौजूद थे. उन्होंने कमलनाथ का स्वागत किया.
बाद में एक-एक कर पहुंचे नेता और अफसर कसम लेते नजर आए कि अगली बार समय से कार्यक्रम में पहुंचेंगे. मंत्रियों को तो यह कसम लेने की ज्यादा जरूरत है, क्योंकि कमलनाथ अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में मंत्रियों के 5 मिनट लेट होने पर नाराज़ हुए थे.
उन्होंने हिदायत दी थी कि अगर कोई मंत्री बैठक में आने पर लेट हुआ तो उसे एंट्री नहीं दी जाएगी. इससे पहले सीएम पद की शपथ लेने के ठीक बाद कमलनाथ को मंत्रालय पहुंचने में देर हो गयी थी. अफसरों को उनका इंतज़ार करना पड़ा था. इस पर सीएम कमलनाथ ने अफसरों से कहा था कि आज के बाद आपको कभी इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा.