MP डायरी: माफिया पर नकेल से बढ़ी कांग्रेस की उम्मीद


Madhya Pradesh Diary by Pankaj Shukla

 

प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव होने हैं. पिछले 15 सालों में सत्‍ता से दूर रही कांग्रेस नगरीय निकायों में भी अपना वर्चस्‍व खो चुकी है. मगर अब कमलनाथ सरकार के काम से उसे उम्‍मीद बंधी है कि वह आगामी नगरीय निकाय चुनावों में प्रतिष्‍ठा के अनुरूप प्रदर्शन करेगी. कमलनाथ सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर सरकार ने ‘उम्‍मीदें रंग लाई, तरक्‍की मुस्‍कुराई’ स्‍लोगन से अपनी सफलता की ब्रांडिंग की है. अब कमलनाथ सरकार के माफिया विरोधी अभियान से कांग्रेस की उम्‍मीदें खिल रही हैं कि जनता में इसका प्रभावी असर हुआ तो नगरीय निकाय चुनाव में वह अच्छा प्रदर्शन करेगी.

यही कारण है कि माफिया मुक्‍त मप्र अभियान पर बीजेपी जितनी हमलावर है कांग्रेस उससे दूने जोश से इसके प्रचार में जुटी है. कांग्रेस अक्सर शिवराज सरकार पर भू-माफिया, खनन माफिया को फलने-फूलने का आरोप लगाती रही थी. चुनाव के समय भी कांग्रेस ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया था. उसका आरोप था कि पिछले भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान रेत माफिया, भू-माफिया, बिल्डर माफिया और अनेक प्रकार के माफिया इस कदर तेजी से उभरे थे कि एक प्रकार से प्रदेश माफियाओं के मकड़जाल में फंस गया था.

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है इस कार्रवाई का जनता खुलकर समर्थन कर रही है. वर्षों से न्याय के लिए दर-दर भटक रही जनता को राहत मिलने लगी है. गरीबों के मकानों,प्लाटों पर कब्जा जमाये बैठे भू-माफिया और सहकारिता माफियाओं से उन्हें प्लाट दिलाने की कार्रवाई इस अभियान के बाद प्रारंभ हुई है. कांग्रेस का आरोप है कि माफियाओं की संरक्षक, पोषक व पैरोकार बनकर बीजेपी निरंतर इस अभियान का विरोध कर रही है और अब तो हद हो गई है जब बीजेपी ने जनता की चिंता छोड़ माफियाओं की चिंता पालते हुए है उनके समर्थन में खड़े होने का फैसला ले लिया है. वह जनता की चिंता छोड़ अब माफियाओं के समर्थन में आंदोलन करने जा रही है.

बीजेपी एक बार फिर उतरेगी सड़क पर

प्रदेश में जारी माफिया मुक्‍त अभियान को पक्षपाती बताते हुए बीजेपी एक बार फिर सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करने जा रही है. इसके पहले भी किसानों को मुआवजा सहित सरकार की अन्‍य विफलताओं को जनता के बीच ले जाने के लिए बीजेपी आंदोलन कर चुकी है. भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष राकेश सिंह का कहना है कि सरकार ऐसे व्यापारी और व्यवसायियों को निशाना बना रही है, जो उसकी सुविधा के अनुसार नहीं चल रहे हैं. बीजेपी कार्यकर्ताओं को चिन्हित कर उन पर अत्याचार कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरीके से दमनकारी नीतियों के साथ कार्यवाही कर रही है उसके विरोध में 24 जनवरी को बीजेपी सड़कों पर उतरेगी. पार्टी कांग्रेस नेताओं के अतिक्रमण की सूची तैयार कर राज्यपाल को सौंपेगी.

सिंधिया के ‘मुन्‍ना’ से सरकार पर हमलावर हुई बीजेपी

ग्‍वालियर से कांग्रेस विधायक मुन्नालाल गोयल ने अपनी बात सुनवाने के लिए धरने का विकल्‍प चुना लेकिन उनके इस ‘सत्‍याग्रह’ ने विपक्षी बीजेपी को बैठा ठाले एक मुद्दा दे दिया. यूं तो बसपा विधायक रामबाई सहित कांग्रेस के अन्‍य विधायक गाहे-बगाहे सरकार में काम ना होने पर अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं और ‘सरकार’ के ध्‍यान देने पर तुरंत मान भी गए. विधायक गोयल के मामले में भी यही हुआ. उन्‍होंने अपनी ही सरकार से नाराज होकर विधानसभा के मुख्यगेट के पास धरने की घोषणा की थी.

शनिवार सुबह 11 बजे वे समर्थकों के साथ विधानसभा पहुंचे. वे विधानसभा की बैरिकेडिंग गेट से ऊपर चढ़े और उसे फांदकर गांधीजी की प्रतिमा तक पहुंच कर धरने पर बैठ गए. गोयल ने कहा कि कांग्रेस सरकार अपने वचनपत्र में शामिल वादे पूरा नहीं कर रही है. इसलिए मैं धरना देने के लिए मजबूर हुआ हूं. उन्होंने कहा कि ना मैं मुख्यमंत्री से नाराज हूं और न ही अन्य किसी मंत्री से. मैं चाहता हूं कि कांग्रेस के वचन पत्र में किए गए वादों को पूरा किया जाए.

कुछ ही घंटें में उनकी बात सुन ली गई. दो प्रमुख मंत्रियों डॉ. गोविंद सिंह और पीसी शर्मा से मुलाकात से विधायक गोयल संतुष्‍ट हो गए. सिंधिया समर्थक विधायक माने जाने वाले गोयल की इस तात्‍कालिक नाराजगी ने बीजेपी को बोलने का मौका दे दिया. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने धरने पर तंज किया कि मध्यप्रदेश में गूंगी बहरी सरकार विपक्ष और जनता तो दूर अब अपने ही विधायकों की नहीं सुन रही है. बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष राकेश सिंह ने बयान दिया कि प्रदेश में अराजकता इस कदर है कि कांग्रेस के विधायक भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं. विधायक मुन्नालाल गोयल को सरकार के इस रवैये के खिलाफ विधानसभा सत्र का बहिष्कार करने पर मजबूर होना पड़ा.


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