मध्य प्रदेश डायरी: बिजली सप्लाई को लेकर कमलनाथ सरकार की अंतिम चेतावनी


madhya pradesh diary on politics of power cut

 

लोकसभा चुनाव के बाद में मध्य प्रदेश में बिजली कटौती का मुद्दा छाया हुआ है. बीजीपी लगातार सरकार पर अक्षमता का आरोप लगा रही है. दूसरी तरफ मंत्रालय में बैठे अधिकारी हैरान है कि सरप्लस बिजली होने के बाद भी कटौती क्यों हो रही!

अघोषित कटौती को बिजली संकट से जोड़ने वाली खबरों को ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आईसीपी केसरी ने खारिज करते हुए ट‌्वीट किया कि एमपी में पिछले वर्ष से ज्यादा बिजली सप्लाई हुई है. उन्होंने आंकड़े भी दिए. इसके बाद मंदसौर विधायक यशपाल सिसोदिया ने कहा कि अगर समय पर मेंटेनेंस करने दिया जाता तो यह नौबत नहीं आती, पर चुनाव के कारण मेंटेनेंस करने नहीं दिया.

बीजीपी विधायक सिंह के इस बयान ने बीजीपी के सरकार पर अक्षमता के आरोपों को कमतर कर दिया. इन तमाम बातों से इतर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लापरवाही को न बख्शने के अंदाज में बिजली विभाग के अफसरों को अंतिम चेतावनी दे दी है. समीक्षा बैठक में अफसर बिजली वितरण के आंकड़े ले कर पहुंचे थे मगर नाथ ने उल्टे मैदानी स्थिति से रूबरू करवा दिया. इसका असर यह हुआ कि बैठक के अगले ही दिन से बिजली कटौती के मामलों में कमी आई और ज्यादातर शहरों में फॉल्ट की वजह से बिजली गुल रही.

प्रज्ञा को लेकर अब बीजेपी को तनाव नहीं

भोपाल की सांसद और बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर का विवादों से गहरा नाता है. प्रत्याशी घोषित होने के बाद प्रज्ञा के बयानों के कारण पार्टी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. गोडसे को राष्ट्रभक्त बताने पर तो खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे प्रज्ञा को मन से माफ नहीं करेंगे.

अब सांसद चुने जाने के बाद प्रज्ञा महाराणा प्रताप जयंती पर सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होना नए विवाद को जन्म दे गया. प्रज्ञा बीमार होने के कारण अदालत में पेश न हुई मगर भारी गर्मी में सार्वजनिक कार्यक्रम में चली गई. आलोचना हुई तो अगले दिन वह कोर्ट में पेश हुई. वहां भी कुर्सी को ले कर प्रज्ञा ने विवाद को जन्म दे दिया. बीजेपी नेताओं ने भी अब मान लिया है कि जहां प्रज्ञा होगी वहां विवाद होगा ही. सो, वे भी अब विवादों का तनाव नहीं ले रहे.

मंत्री पटवारी का मिशन जारी है…

लोकसभा चुनाव के बाद सरकार के कामकाज पटरी पर लौट रहे हैं. जहां दूसरे मंत्रालय विधानसभा के बजट सत्र की तैयारियों में जुटे हैं उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी अपने मिशन को पूरा करने के रोड मैप के साथ सामने आए.

उच्च शिक्षा में बदलाव की इबारत लिखने पटवारी ने तय किया है कि मध्य प्रदेश में देश का पहला कौशल विकास विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा. प्रदेश में नॉलेज कमीशन का गठन होगा.

इंदौर, उज्जैन, छिंदवाड़ा, जबलपुर, सागर, ग्वालियर, झाबुआ, खरगोन और रीवा में भोपाल के एक्सीलेंस कॉलेज की तर्ज पर एक्सीलेंस कॉलेज खोले जाएंगे. अब तक सिर्फ एससी-एसटी विद्यार्थियों को ही नि:शुल्क किताबें दी जाती थीं.

पटवारी ने तय किया है कि गरीबी रेखा में आने वाले हर विद्यार्थी को 2000 रुपये तक की किताबें मुफ्त दी जाएंगी. यानि,अब उच्च शिक्षा विभाग सामान्य और ओबीसी के छात्रों को भी ये सुविधा देगा. असल में, यह युवाओं को पार्टी से जोड़ने की इच्छा का क्रियान्वयन है. यूँ भी अधिकांश युवा 15 साल शासन से दूर रही कांग्रेस की नीतियों से अनजान हैं. उच्च शिक्षा में बदलाव लाकर पटवारी इस दूरी को पाटना चाहते हैं.


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