मध्य प्रदेश डायरी: ओबीसी वोट बैंक पर कांग्रेस का दांव


madhya pradesh government bring ordinance to obc reservation

  फाइल फोटो

बीजेपी के परंपरागत ओबीसी वोट पर कांग्रेस का दांव

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी को पटकनी देने के लिए मास्‍टर स्‍ट्रोक चला है. कमलनाथ ने बीजेपी के परंपरागत अन्‍य पिछड़ा वर्ग वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए न केवल आरक्षण को दोगुना करने का ऐलान किया बल्कि अध्‍यादेश ला कर उसे लागू कर दिया.

मध्य प्रदेश में करीब 52 फीसदी आबादी ओबीसी समाज की है, जिसे 14 फीसदी आरक्षण मिल रहा है. बीजेपी इसी वोट बैंक को साध कर सत्‍ता में बनी रही है. चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण बढ़ा कर बीजेपी को संकट में डाल दिया है.

ओबीसी समुदाय अपने आरक्षण के दायरे को बढ़ाने की मांग लंबे समय से कर रहा है मगर प्रदेश में 13 साल मुख्‍यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने ओबीसी होते हुए भी ओबीसी के आरक्षण के दायरे को नहीं बढ़ाया.
रामजी महाजन आयोग ने साल 1998 में पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी के बजाय 27 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की थी, लेकिन मामला अदालत में जाने के बाद यह सिफारिश लागू नहीं की जा सकी. अभी अनुसूचित जाति को 16, जनजाति को 20 और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. इस तरह तीनों वर्गो को मिलाकर 50 फीसद आरक्षण पहुंच रहा है.

इससे अधिक आरक्षण न देने की संवैधानिक बाध्‍यता थी, लेकिन मोदी सरकार ने गरीब सवर्ण समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण देकर इस दायरे को बढ़ा दिया है. इसी को आधार बना कर कमलनाथ ने ओबीसी के दायरे को दोगुना करना का फैसला किया है. इतना ही नहीं कमलनाथ ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से अक्षम लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने के लिए मंत्री मंडलीय कमेटी बना दी है.

बीजेपी इसे लागू करने को लेकर सरकार पर दबाव बना रही थी. इस तरह, कांग्रेस ने सवर्ण की नाराजगी दूर करने और बीजेपी के ओबीसी वोट बैंक में सेंध के जतन एक साथ कर दिए हैं.

बीजेपी में देर तक बनी रही रघुनंदन शर्मा की गूंज

संघ पृष्‍ठभूमि के बीजेपी नेता पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उन्‍हें घोषणावीर कहा था. तब भी पार्टी में कई नेता शर्मा के बयान से सहमत नजर आए थे. अब एक बार फिर शर्मा ने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह और संगठन महामंत्री सुहास भगत के सामने भरी बैठक में शिवराज की कार्यप्रणाली पर एतराज जताया.

बीजेपी कार्यालय में विभिन्न प्रकल्पों और प्रकोष्ठों की बैठक के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष शिवराज देरी से पहुंचे और अपना भाषण दे कर रवाना हो गए. इस पर रघुनंदन शर्मा ने आपत्ति उठाते हुए बिना नाम लिए कहा कि लोग तो भाषण देकर चले गए.

संगठन ने जिम्मेदारी दी है तो उन्हें पूरे समय बैठक में उपस्थित रहना चाहिए. जो कार्यकर्ता काम करके आया है, उससे बातचीत कर कार्यों का फीडबैक तो लिया ही जाना चाहिए. कार्यकर्ताओं से बातचीत की ही नहीं जाती. कार्यकर्ता को जो जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसमें से कितना काम हुआ, क्या नहीं हुआ, इसकी पूछताछ बैठकों में नहीं की जाती है.

शर्मा की बातें सुनकर प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने इतना ही कहा कि आपके सुझाव पर विचार किया जाएगा. मगर उनकी शिवराज के व्‍यवहार पर आपत्ति की गूंज अब तक संगठन में सुनाई दे रही है.

उमा भारती के नहले पर कमलनाथ का दहला

केंद्रीय स्वच्छता मंत्री उमा भारती बेबाक बोलती हैं. वे अपने समकालीन राजनेताओं की खुल कर प्रशंसा भी करती हैं और आलोचना भी जमकर करती हैं. खुलकर कह देने के अंदाज के कारण ही उन्‍हें फायर ब्रांड नेता कहा जाता है. मगर इस बार कुछ ऐसा हुआ कि उमा पर अनुभवी नेता कमलनाथ की सीख भारी पड़ी.

हुआ यूं कि मुख्‍यमंत्री कमलनाथ से मिलने भोपाल आई उमा भारती ने मीडिया से चर्चा में कहा कि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और सीएम कमलनाथ संघ की शाखा में जाएं. दिग्विजय सिंह को संघ की शाखा में जाना बहुत जरूरी है, तभी उनको पता चलेगा कि असल राष्ट्रवाद होता क्या है.

इस बयान के अगले दिन जब मुख्‍यमंत्री कमलनाथ से उमा की इस सलाह के बारे में पूछा गया तो कमलनाथ ने अ‍नभिज्ञता जताते हुए कह दिया कि मुलाकात के दौरान तो उमा ने तो ऐसा कुछ नहीं कहा. कमलनाथ ने उलटे कह दिया कि हमें शाखाओं में बुलाने के बदले उमा को कांग्रेस की बैठकों में आना चाहिए.

सीएम की सक्रियता, पीएम से पहले सुनवाई

इंदौर की कक्षा छठीं की छात्रा ईवा शर्मा ने ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बैडमिंटन कोर्ट को लेकर आ रही परेशानी का जिक्र किया था. लेकिन पीएम ईवा की परेशानी दूर करते उससे पहले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ईवा सहित अन्य खिलाड़ियों के लिए एसजीआईटीएस कॉलेज में बैडमिंटन कोर्ट की व्यवस्था करा दी. ईवा ने इसके लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद भी दिया.

असल में, मीडिया या सोशल मीडिया में कोई मामला सामने आते ही उस पर तुरंत एक्‍शन होना मुख्‍यमंत्री कमलनाथ की कार्यप्रणाली और पीआर विंग की सक्रियता का नतीजा है. ईवा के मामले में भी ऐसा ही हुआ.
लोकसभा चुनाव तैयारियों को लेकर इंदौर के नेहरु स्टेडियम में खेल गतिविधियां बंद हैं. ईवा ने बैडमिंटन कोर्ट 5 महीने से बंद होने से परेशान होकर पीएम मोदी को पत्र लिखा था. इधर, ईशा का ये पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और सीएमओ सक्रिय हो गया. इससे पहले कि पीएमओ से कोई जवाब आता, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बच्ची की परेशानी दूर कर दी.


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