मध्य प्रदेश डायरी: शासन से प्रशासन तक सब हलकान
कमलनाथ का स्टाइल
छिंदवाड़ा मॉडल के लिए चर्चित रहने वाले कमलनाथ अब बतौर मुख्यमंत्री अपने काम के तरीकों के कारण सुर्खियों में बने हुए हैं. लंबे समय तक मंत्रालय में बैठने और पल में फैसले लेने के उनके अंदाज से अफसर तो अफसर मंत्री भी हैरत में हैं.
अपने कुछ मंत्रियों के बोल और कार्यों से खफा कमलनाथ ने बहुत ही पेशेवर ढंग से अपने मंत्रियों को नसीहत दी. कैबिनेट की बैठक के बाद कमलनाथ ने अपने मंत्रियों को यह कहते हुए एक पर्ची दी कि इसे अच्छी तरह पढ़ लें.
पर्ची में लिखा था, “मंत्री लूज टॉक ना करें. ऐसे बयान ना दें जिससे सरकार की मुसीबत बढ़े. अपने प्रभाव वाले जिले के साथ गृह नगर का भी ख्याल रखें.” कैबिनेट मीटिंग कब होनी है इसकी जानकारी भी पर्ची में दर्ज थी ताकि मंत्री अपने कार्यक्रम तय कर सकें.
सादगी से रहने और फिजूलखर्ची पर रोक के निर्देश भी थे. टू द पॉइंट बात करने वाले मुख्यमंत्री के प्रोफेशनल एटीट्यूड से मंत्रियों की कार्यशैली भी व्यवस्थित हो रही है.
गुजरे का दंश भुलाने की जुगत में शिवराज
बीते 13 सालों में मुख्यमंत्री रहते शिवराज सिंह चौहान सबसे व्यस्त व्यक्तियों में शुमार होते थे. सरकार खोने के बाद लोग उम्मीद लगाए थे कि उनसे मिलना आसान हो जाएगा मगर शिवराज ज्यादा व्यस्त हो गए.
पहले तो प्रदेश में यात्राएं की जा रही थीं, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बाद तो वे अन्य प्रदेशों में भी जाने लगे. इतना व्यस्त हुए कि प्रदेश कार्यालय में आवाजाही घट गई. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि गुजरी को बिसराने के लिए शिवराज ने खुद को इतना व्यस्त कर लिया है. न खाली रहेंगे, न अप्रिय बातें निकलेंगी.
ये सरकार तो ‘धार्मिक’ है
हिंदुत्व के नाम पर राजनीति कर रही बीजेपी हमेशा कांग्रेस को मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर घेरती रही है. मगर कमलनाथ सरकार के कामकाज को देख कर टिप्पणियां की जा रही हैं कि यह सरकार तो ज्यादा धार्मिक है.
अपने पहले निर्णयों में कांग्रेस सरकार ने आनंद विभाग को अध्यात्म विभाग बनाया. फिर मंदिर के पुजारियों का मानदेय दोगुना किया. कुंभ में 3200 बुजुर्ग तीर्थयात्रियों को लेकर चार ट्रेन भेजने की घोषणा की और रामराजा सरकार की नगरी ओरछा में 96 लाख रूपये लागत के रानी गनेश कुँवरि यात्री सेवा सदन का भूमि-पूजन किया.
सरकार पुजारी कल्याण कोष का गठन करने जा रही है. पुजारियों के बच्चों के शिक्षण और स्वास्थ्य पर भी ध्यान देते हुए पुजारियों के लिए बीमा व्यवस्था लागू की जाएगी.
पुजारियों को भी यकीन न था कि उनकी लंबे समय से लंबित मांगो को इतनी जल्दी सुन लिया जाएगा. यही कारण है कि धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा के आसपास साधु संतों की भीड़ भी दिखाई दे रही है.
शुक्ला के सितारों से हैरत में हर कोई
किसी ने सोचा भी न था कि जिन ऋषि कुमार शुक्ला को प्रदेश सरकार ने डीजीपी के पद से हटाया उनके सितारे इतने बुलन्द होंगे. जब उनके कॅरियर को लगभग खत्म मान लिया गया होगा तब उन्हें सीबीआई डायरेक्टर जैसा अहम पद मिल जाएगा.
मीडिया तो उन्हें हटाए जाने की अंतर्कथा बता कर उनकी विदाई के किस्से बताती रही, लेकिन बाजी पलटी तो शुक्ला के गुण गाए जाने लगे.
जिन खामियों के कारण उन्हें हटाया गया वे ही उनकी ताकत बताई जाने लगीं. जो अफसर शुक्ला से कन्नी काट रहे थे वे बधाई देने वालों में सबसे आगे थे. नेपथ्य में जाते जाते शुक्ला मुख्यधारा में लौट आए.