महाराष्ट्र: कांग्रेस विपक्ष में बैठने के रुख पर कायम, एनसीपी ने समर्थन के लिए रखी शर्तें


Maharashtra: Congress continues to stand in opposition

 

कांग्रेस महासचिव मल्लिकार्जुन  खड़गे ने संवाददाताओं से बातचीत में महाराष्ट्र में विपक्ष में बैठने के अपनी पार्टी के रुख को दोहराया जबकि पवार ने कहा कि वह कांग्रेस का आधिकारिक बयान आने के बाद ही प्रतिक्रिया देंगे. एनसीपी नेता नवाब मलिक ने शिवसेना को सशर्त समर्थन देने की बात कही है.

मुम्बई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम ने मुंबई कहा कि ‘ऐसा जान पड़ता है कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन टूट गया है’ और वह पार्टी नेतृत्व से शिवसेना की मदद से सरकार बनाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करने की अपील करेंगे क्योंकि यह एक स्थिर सरकार नहीं होगी तथा कांग्रेस एवं राकांपा दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा.

खड़गे ने जयपुर में महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक के बाद कहा, ”हमने पहले ही दिन से अपना रुख नहीं बदला है. हमने हमेशा कहा है कि हम विपक्ष में बैठेंगे और जनादेश का सम्मान करेंगे.”

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माणिकराव ठाकरे ने कहा था कि खड़गे ने यह जानने के लिए पार्टी विधायकों के साथ अनौपचारिक बैठक की कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर पार्टी को क्या रुख अपनाना चाहिए.

अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, बालासाहब थोराट जैसे वरिष्ठ नेताओं समेत महाराष्ट्र के सभी 44 नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक पार्टी शासित राजस्थान में एक रिसोर्ट में डेरा डाले हुए हैं क्योंकि पार्टी को सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच विधायकों के खरीद-फरोख्त का डर है.

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस ने इस बात के लिए विधायकों के साथ चर्चा के लिए दो पर्यवेक्षक तैनात किये हैं कि पार्टी को सरकार गठन पर गतिरोध के मद्देनजर क्या रुख अपनाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ”कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह महाराष्ट्र में बीजेपी को रोकना चाहती है या नहीं अथवा उसे इस बात की फिक्र नहीं है कि बीजेपी सरकार बना पाने में सक्षम है या नहीं. वैकल्पिक सरकार बस कांग्रेस के समर्थन से ही बन सकती है.”

एक अन्य घटनाक्रम में पवार ने भी मुंबई में अपनी पार्टी के कुछ नेताओं के साथ बैठक की.

एनसीपी नेता नवाब मलिक ने शिवसेना को सशर्त समर्थन देने की बात कही है. मलिक ने कहा, ’12 नवंबर को पार्टी की बैठक बुलाई गई है. अगर शिवसेना हमारा समर्थन चाहती है तो उसे यह स्पष्ट करना होगा कि उसका बीजेपी से कोई संबंध नहीं है और उन्हें एनडीए से बाहर आना होगा. उनके सभी मंत्रियों को केन्द्रीय कैबिनेट से इस्तीफा देना होगा. ‘

उन्होंने कहा कि अबतक शिवसेना की ओर से उन्हें कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. कोई भी फैसला कांग्रेस से मिलकर लिया जाएगा.

गैर भाजपाई दलों के बीच गठबंधन पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए पवार ने कहा, ”मैं कांग्रेस के फैसले के बारे में खबरों के आधार पर आगे नहीं बढ़ सकता. मैं केवल तभी प्रतिक्रिया दे सकता हूं जब कांग्रेस अपने फैसले के बारे में आधिकारिक रूप से मुझे सूचित करती है.”

बीजेपी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री के पद को लेकर तनातनी जारी है.

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा में सबसे बड़े दल बीजेपी को राज्य में सरकार गठन के प्रति उसकी इच्छा और क्षमता के बारे में अवगत कराने को कहा था.

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अक्टूबर में विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, राकांपा ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थी. विधानसभा में 288 सीटें हैं.


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