मैच फिनिशर धोनी की वापसी?


Dhoni Back in form?

 

ऑस्ट्रेलिया के कोच जस्टिन लैंगर ने शुक्रवार को भारत से एकदिवसीय सीरीज हारने के बाद महेंद्र सिंह धोनी की तारीफ करते हुए उन्हें सुपरस्टार और सर्वकालिक महान क्रिकेटरों में से एक बताया. उन्होंने विशेषकर धोनी की फिटनेस की तारीफ़ की और युवा खिलाड़ियों के लिए धोनी को आदर्श बताया.

धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे में 114 गेंदों में 87 रन बनाये जिसकी मदद से भारत ने सात विकेट से जीत दर्ज करके सीरीज 2-1 से अपने नाम की.

वैसे सीमित ओवरों के क्रिकेट में धोनी भारत के सफलतम बल्लेबाजों में से गिने जाते रहे हैं लेकिन इस सीरीज से पहले धोनी की बल्लेबाजी पर कई तरह के सवाल लग रहे थे. कई पूर्व क्रिकेटरों ने उनकी बल्लेबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर धोनी का फॉर्म इतना खराब है तो वह घरेलू क्रिकेट क्यों नहीं खेलते. लगातार गिरते उनके स्ट्राइक रेट से भी टीम इंडिया को काफी मुश्किल हो रही थी. वनडे क्रिकेट में उनकी ताकत स्ट्राइक रोटेट करना मानी जाती थी, लेकिन बीते कुछ वक्त में वे यहीं संघर्ष करते हुए नजर आ रहे थे. कप्तान कोहली ने भी कई बार इस बात को इशारों में माना था.

सीरीज से पहले आंकड़ें भी उनके हक़ में नहीं थे. साल 2018 में उनके बल्ले से शतक तो दूर एक अर्धशतक तक नहीं निकला था. जहां वनडे मैचों में धोनी का करियर औसत 50 से ऊपर का है, वहीं बीते सालों में यह लुढ़ककर 25 पर आ गया था. इतना ही नहीं, धोनी दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड दौरे में बुरी तरह फ्लॉप साबित हुए थे.

चूंकि धोनी यह पहले ही बता चुके थे कि साल 2019 के विश्व कप से पहले वे संन्यास नहीं लेंगे, इसलिए अपनी उपयोगिता साबित करने का उन पर स्वयं भी दबाव था.

इस सीरीज में धोनी सिडनी में खेले गए सीरीज के पहले वनडे में अर्धशतक बनाने में तो सफल रहे, लेकिन धीमी बल्लेबाजी के कारण उनकी बहुत आलोचना हुई. हालांकि इस मैच में खेली गई पारी से उन्हें थोड़ा आत्मविश्वास मिला जिसकी झलक अगले मैच में देखने को मिली. एडीलेड में खेले गए अगले मैच में उन्होंने टीम को नाजुक स्थिति से जीत दिलाई.

यहां वह अपनी उसी फिनिशर की भूमिका में नजर आए जिसके लिए उन्हें जाना जाता है. सीरीज के तीसरे और अंतिम वनडे में भी उन पर विराट कोहली के आउट होने के बाद जीत दिलाने की जिम्मेदारी आ पड़ी. उनकी 87 रन की नाबाद पारी अंत में निर्णायक साबित हुई.

यह कहा जा सकता है कि धोनी ने कुछ हद तक टीम में अपनी जगह को लेकर उठ रहे सवालों को शांत कर दिया है. लेकिन अब भी उनकी बल्लेबाजी के बेहतर होने की बहुत गुंजाइश है. विशेषकर ये देखते हुए कि ऋषभ पन्त जैसे युवा क्रिकेटर टीम इंडिया का दरवाजा खटखटा रहे हैं. उनको टीम में शामिल किए जाने की मांग जोर-शोर से उठ रही है.


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