नई शिक्षा नीति के बाद उठे भाषा विवाद पर ममता बनर्जी दक्षिण राज्यों के समर्थन में उतरीं
देश में भाषा को लेकर चल रही बहस में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी भी शामिल हो गई हैं. ममता ने कहा है कि भाषा के मामले में वे पूरी तरह से दक्षिण राज्यों के साथ खड़ी हैं. उन्होंने कहा कि हर क्षेत्रीय भाषा का सम्मान होना चाहिए.
इससे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में हिंदी को लेकर किए गए प्रावधानों के प्रति दक्षिण भारतीय राज्यों ने अपना विरोध जताया था.
ममता बनर्जी ने इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “कोई भी जो हमारे भारत में रहता है, हर राज्य का अपना चरित्र है. हर राज्य की अपनी भाषा है. क्षेत्रीय भाषाएं हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. हर हिस्से की क्षेत्रीय भाषाओं का मैं समर्थन करती हूं.”
उन्होंने कहा, “मेरी भाषा बंगाली है, मैं अपनी मातृ भाषा से प्यार करती हूं. इसके बाद मेरे पास विकल्प हैं, मैं कोई दूसरी भाषा चुन सकती हूं. ये मेरे ऊपर निर्भर करता है, चुनने की आजादी होनी चाहिए.”
ममता ने इस मुद्दे पर आगे बात करते हुए कहा, “उन्हें (दक्षिण राज्यों को) मेरा पूरा समर्थन है, हमें सभी क्षेत्रीय भाषाओं के सम्मान पर एकमत होना चाहिए…आपको सभी चीजें नियंत्रित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए”
तमिलनाडु में डीएमके सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित तीन भाषा फार्मूले का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने इसे ठंडे बस्ते में डालने की मांग करते हुए दावा किया कि यह हिन्दी को ‘थोपने’ के समान है.
ये मसौदा नीति जाने-माने वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली एक आठ सदस्यीय समिति ने तैयार की है जिसे हाल ही में सार्वजनिक किया गया.