ममता की महारैली में विपक्ष का शक्तिप्रदर्शन
कर्नाटक के बाद पश्चिम बंगाल में विपक्ष एक बार फिर एकजुट हो अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए तैयार हो गया है. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा आयोजित इस महा रैली ‘‘संयुक्त विपक्षी रैली’’ में विपक्षी दलों का जमावड़ा लगना शुरू हो चुका है. तृणमूल कांग्रेस की इस रैली में कांग्रेस सहित करीब दर्जन भर क्षेत्रीय दलों के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है. वहीं ममता बनर्जी करीब 40 लाख से ज्यादा लोगों के जुटने का दावा कर रही हैं. इस रैली के जरिए विपक्ष नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अपनी एकजुटता और ताकत का प्रदर्शन करना चाहती हैं. रैली कोलकाता शहर के बीचों बीच ब्रिगेड परेड ग्राउंड में हो रही है.
कई दिग्गज होंगे शामिल
मोदी सरकार के खिलाफ ममता की इस मैगा रैली में विपक्षी दलों के दिग्गज भी शिरकत करेंगे. रैली में अखिलेश यादव, पूर्व पीएम देवेगौड़ा, फारुख अब्दुल्ला, एचडी कुमार स्वामी, डीएमके नेता एम के स्टालिन, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, आरजेडी के तेजस्वी यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पंवार, हेमन्त सुरेन, अरुण शौरी, हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी भी मौजूद रहेंगे और मोदी के खिलाफ हुंकार भरेंगे. वहीं बीजेपी से नाराज चल रहे शत्रुघ्न सिन्हा और यशवंत सिन्हा भी रैली में शिरकत करेंगे.
सोनिया, राहुल और माया रैली में शरीक नहीं, खड़गे–सतीश मिश्रा को भेजा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद इस रैली में शामिल नहीं हो रहे हैं. रैली में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे. राहुल गांधी ने रैली के समर्थन में टीएमसी को एक पत्र लिखा है. पत्र में राहुल ने ममता दीदी की इस रैली को पूरा समर्थन देने की बात कही है .राहुल गांधी ने मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ इस संघर्ष में अपना समर्थन देते हुए पीएम मोदी को कड़ा संदेश देने की बात कही है. बहुजन समाज पार्टी की ओर से मायावती ने खुद का प्रतिनिधित्व करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र रैली में शामिल होने के लिए भेजा है.
रैली में अपना दमखम दिखाने के लिए कई नेता शुक्रवार को ही कोलकाता पहुंच चुके हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रही इस रैली को ममता ने मोदी सरकार के खिलाफ ‘ताबूत की आखिरी कील’ बताते हुए कहा है कि लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 125 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी. उन्होंने दावा किया है कि चुनावों के बाद क्षेत्रीय दल निर्णायक की भूमिका में होंगे.
रैली के बाद ममता बनर्जी एक टी-पार्टी का भी आयोजन करेंगी, जिसमें विपक्षी दल चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगे.
साल 2018 में विपक्षी एकता की ऐसी ही तस्वीर कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में सुर्खियां बनी थीं. कर्नाटक में विपक्षी एकता की इस तस्वीर से ही मिशन 2019 में विपक्षी एकता की चर्चा शुरू हुई थी. विपक्षी एकता की ऐसी ही तस्वीर अब कोलकाता से आने वाली है. इस बार मंच ममता बनर्जी का होगा और देश के दिग्गज विपक्षी चेहरे इस मंच पर नज़र आयेंगे.
यह देखना दिलचस्प होगा कि कोलकाता की जमीन पर हो रही इस रैली से बीजेपी कितनी प्रभावित होती है, लेकिन पार्टी द्वारा अपनी रैलियों का तीन दिवसीय कार्यक्रम (20 जनवरी) को दो दिन आगे(22 जनवरी) बढ़ाना विपक्षी एकजुटता से बीजेपी में हो रही हलचल के ओर इशारा कर रही है. हालांकि, इसके लिए बंगाल भाजपा ने अमित शाह की बीमारी का हवाला दिया है.