संविधान बचाओ धरना: 13 साल बाद ममता अपने पुराने रूप में


mamta is in her old avatar in kolkata's samvidhan bachao dhrna

 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी अपने पुराने अवतार में नजर आ रही हैं. करीब 13 साल पहले सिंगूर भूमि अधिग्रहण मामले में वो अपने इसी रूप में नजर आई थीं.

पश्चिम बंगाल समेत पूरे देश में दीदी के नाम से मशहूर ममता बनर्जी साल 2006 में लगातार 26 दिन तक धरने पर बैठी थीं. उस वक्त वो टाटा नैनो कार प्रोजेक्ट के लिए सिंगूर में होने वाले भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रही थीं.

ममता के तमाम प्रयासों और अन्य अवरोधों के चलते टाटा को सिंगूर प्रोजेक्ट से हाथ खींचना पड़ा था. दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की जनता ने इन प्रयासों के ईनाम के रूप में उन्हें राइटर्स बिल्डिंग पहुंचा दिया था.

लगातार दो कार्यकाल से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज ममता बनर्जी को उनके जुझारू और संघर्षशील व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है. अपने इसी व्यक्तित्व का परिचय देते हुए वो एक बार फिर से शक्तिशाली केंद्र सरकार से लोहा ले रही हैं.

ममता इस बार केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की कार्रवाई के विरोध में धरने पर हैं. केंद्र सरकार पर अक्सर सीबीआई के दुरुपयोग के आरोप लगते रहे हैं और ममता भी इसी बात का विरोध करने के लिए धरने पर बैठी हैं.

इस मुद्दे पर कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष ममता बनर्जी के साथ खड़ा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने एक बयान में कहा कि वो इस मामले में ममता बनर्जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं. वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव के आज धरना स्थल पहुंचने की खबरें आ रही हैं.

विपक्षी पार्टियों ने ममता बनर्जी का किया समर्थन

बीते रविवार को वो कोलकाता के धर्मतल्ला इलाके में स्थित मेट्रो चैनल पहुंच गईं, जहां रात को ही धरना मंच बनाया गया. रोचक बात है कि ये वही जगह है जहां 13 साल पहले ममता धरने पर बैठी थीं.

दरअसल, रविवार को सीबीआई की टीम कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के सरकारी निवास पर पहुंची थी. सीबीआई शारदा चिटफंड मामले में उनसे पूछताछ करने गई थी. लेकिन कोलकाता पुलिस ने सीबीआई को राजीव कुमार के घर में नहीं घुसने दिया.

पुलिस का कहना है कि सीबीआई बिना किसी वारंट के राजीव कुमार के घर जा पहुंची थी.

पत्रकारों से बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “ये अभूतपूर्व है, वे पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन थोपने के लिए बहाने बना रहे हैं. ये तख्तापलट से कमतर नहीं है, आपातकाल जैसे हालात हैं.”

बीती 19 जनवरी को कोलकाता में ममता बनर्जी की अगुआई में विपक्ष एकता रैली का आयोजन हुआ था. इस रैली को कई मायनों में सफल और प्रभावकारी बताया गया था.

फिलहाल इस वक्त जबकि लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर पश्चिम बंगाल राजनीति का अखाड़ा बनता नजर आ रहा है. जहां ममता बनर्जी अन्य विपक्षी दलों को साथ लेकर केंद्र से लोहा लेती नजर आ रही हैं.


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