अब मायावती भी करेंगी ट्वीट
“हैलो ब्रदर्स एंड सिस्टर्स. विथ ड्यू रेस्पेक्ट लेट मी इंट्रोड्यूस मायसेल्फ टू द ट्विटर फैमिली. दिस इज माई ओपिनिंग एंड इनोगुरेशन. @sushrimayawati इज माय ऑफिसियल ट्विटर हैंडल फॉर ऑल माय फ्यूचर इंटेरेक्शन, कॉमेंट एंड अपडेट. विथ वार्म रिगार्ड. थैंक यू. ”
अंग्रेजी में लिखे इस मैसेज के साथ बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने ट्विटर पर 22 जनवरी को ट्विटर पर संवाद करने की बात कही हैं. पहला पोस्ट करने के दो सप्ताह के भीतर मायावती के 30 हजार से अधिक फॉलोवर बन गए हैं. इस बीच उन्होंने 10 पोस्ट किए हैं. जिनमें ज्यादातर बीएसपी के प्रेस नोट हैं.
मायावती के ट्विटर पर आने पर समर्थकों ने स्वागत किया है. लेकिन सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल भी किया जाने लगा है.
ट्रोलर को जवाब देते हुए @meAjaykumar लिखते हैं कि ट्विटर को देखकर लगता है कि यह बहुजनों से बहुत दूर है.
छह फरवरी को पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “मीडिया और जनता के साथ त्वरित संवाद और राष्ट्रीय और राजनीतिक महत्व के विषय पर ट्विटर के माध्यम से अपने विचार रखे जाएंगे.”
आगामी आम चुनाव को लेकर मायावती का सोशल मीडिया पर आना मायने रखता है. हाल ही में बीएसपी और सपा के बीच गठबंधन हुआ है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कुछ साल से सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और ट्विटर पर उनके आठ लाख से अधिक समर्थक हैं.
ट्विटर पर मायावती का @SushriMayawati हैंडल अक्टूबर 2018 में बना है. मायावती सोशल मीडिया से लगातार दूरी बनाए रखती रही हैं. साल 2018 में पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि बीएसपी का कोई वेबसाइट, फेसबुक और ट्विटर एकाउंट नहीं है. पार्टी के नाम से चल रहे एकाउंट गैरआधिकारिक और झूठे हैं. मायावती मानती रही हैं कि ऐसे माध्यम उनके लड़ाई के साधन नहीं हो सकते हैं.
अगस्त 2017 में मायावती का एक फोटो वायरल हुआ था. जिसमें वह विपक्ष के नेताओं, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, लालू यादव, शरद यादव, ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के साथ नजर आ रही थीं. इसके बाद उन्होंने कहा था कि यह पोस्टर फेक है और उनका कोई सोशल मीडिया एकाउंट नहीं है. उन्होंने तब कहा था कि बसपा लगातार मीडिया और आम आदमी के हित में हिन्दी में प्रेस नोट जारी करती रही है. “ट्विटर ऐसी सुविधा नहीं देती है.”
हालांकि ट्विटर पर अबतक जारी उनके ज्यादातर पोस्ट अंग्रेजी में हैं.
इससे पहले सोशल मीडिया पर बीएसपी को लेकर कई अफवाहें फैलती रही हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय बसपा के उम्मीदवारों की सूची सोशल मीडिया पर शेयर होने लगी थी. जिसके बाद पार्टी की ओर से प्रेस कांफ्रेस कर इस वायरल सूचना का खंडन किया गया था.
माना जा रहा है कि अफवाहों को रोकने के लिए मायावती ने सोशल मीडिया पर आधिकारिक रूप से सक्रिय हुईं हैं.
सोशल मीडिया पर बीएसपी का आधिकारिक एकाउंट नहीं होने के बावजूद पार्टी समर्थकों की ओर से कई एकाउंट चलाए जा रहे हैं. कार्यकर्ताओं के मुताबिक सूचनाओं को जानने के लिए वह पार्टी समर्थकों की ओर से बनाए गए व्हाट्स एप्प ग्रुप के सदस्य बन जाते हैं.