#मीटू: आकाशवाणी से उठती आवाज़


on me too movement of AIR

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देश में मीटू आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं, LGBTQ+ और पुरुष शामिल होते जा रहे हैं. इस आंदोलन से उन्हें हिम्मत मिली है और वह अपने साथ हुई यौन उत्पीड़न और हिंसा की घटनाएं साझा कर पा रहे हैं. इसी कड़ी में ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) का नाम भी जुड़ गया है.

ऑल इंडिया रेडियो के क्षेत्रीय स्टेशन से अब तक कई महिलाओं की शिकायते सामने आ चुकी हैं. जिसमें उन्होंने अपने से ऊपर पदों पर बैठे पुरुषों पर यौन उत्पीड़न और बुरे बर्ताव के आरोप लगाए हैं. यह शिकायतें एआईआर के शाहडोल (मध्यप्रदेश), ओबरा (उत्तर प्रदेश), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) केंद्रों से मिली.

आरोप लगाने वाली महिलाओं में स्थायी और अस्थायी महिलाएं कर्मचारी शामिल हैं. इंडियन एक्सप्रेस अपनी खबर में लिखता है कि इससे पहले भी कई महिलाओं ने एआईआर में काम के दौरान उत्पीड़न की शिकायत की थी लेकिन संस्थान की ओर से इन शिकायतों पर कभी कोई गंभीर एक्शन नहीं लिया गया.

कुछ शिकायते ऐसी भी हैं, जिसमें महिलाए पिछले दो दशकों से न्याय का इंतजार कर रही हैं. शिकायतकर्ता महिलाओं के कोई सूची नहीं मिल पाई है, कि इन्होंने कब और क्या आरोप लगाए.

खबर के मुताबिक आरोपियों में सभी स्थायी कर्मचारी शामिल हैं. अलग-अलग महिलाओं द्वारा की गई इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए संस्थान की आंतरिक कंप्लेंट कमिटी (आईसीसी) ने आरोपी कर्माचारियों को या तो क्लीन चिट थमा दिया या इन्हें ट्रांसफर दे दिया गया. संस्थान की आईसीसी में सभी स्थायी कर्मचारी ही शामिल हैं.

मीटू के तहत बड़ी संख्या में महिलाएं संस्थान के अंदर से एक साथ अवाज उठा रही हैं और न्याय की मांग कर रही हैं. इसे देखते हुए ऑल इंडिया रेडियो कैजुअल एनाउंसर एंड कॉम्पेअ यूनियन (एआईसीएसीयू) ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष मेनका गांधी को इन शिकायतों पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए पत्र लिखा है.

एआईसीएसीयू ने मेनका गांधी को लिखे अपने पत्र में कुछ गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि, “एआईआर में काम करने वाले उद्घोषक/कार्यक्रम उद्घोषक/रेडियो जॉकी के लिए यह मुश्किल होता है कि जिन अधिकारियों ने उनके साथ अन्याय किया, उन्हें परेशान किया वह उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराए. उन्हें यह डर लगता है कि कहीं उन्हें नौकरी से न निकाल दिया जाए. देखा गया है कि शिकायत करने वाली महिलाओं और उनके गवाह रहे लोगों को भी नौकरी से निकला जाता है.”

ओबरा केंद्र में 20 सालों से काम कर रही, अस्थायी उद्घोषक शांति वर्मा (43) ने स्टेशन हेड जी पी निराला पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं.

उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि स्टेशन हेड ने उनके करीब आ कर उन्हें छूने की कोशिश की थी. वह उनके स्तनों पर भी कंमेंट कर चुके हैं. वहीं आईसीसी ने इस मामले की जांच के बाद कहा है कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं. इस घटना के बाद शांति को नौकरी से निकाल दिया गया है. इस पर निराला से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल और मैसेज के जवाब नहीं दिए.

साल 2014 में कुरुक्षेत्र केंद्र से सीनियर अधिकारी पर यौन उत्पीड़न और मानसिक तनाव के आरोप लगाने वाली दो अस्थायी महिला कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया था. ऐसा ही कुछ दूसरे केंद्रों से शिकायत करने वाली महिलाओं के साथ भी हुआ.

एआईसीएसीयू की महासचिव शबाना खानम इस पूरे मामले पर कहती हैं कि, “अस्थायी महिला कर्मचारी दो तरफा रूप से प्रताड़ित हो रही हैं. पहले तो यौन उत्पीड़न सह रही हैं और दूसरा शिकायत करने पर नौकरी जाने का डर है. प्रसार भारती और सूचना प्रसारण मंत्रायल को लिखे ढेरों शिकायती पत्रों के बावजूद इन महिलाओं की समस्या का समाधान नहीं हुआ.”

ऑल इंडिया रेडियो के कर्मचारियों की ट्रेड यूनियन ने प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति से अनुरोध किया है कि निकाले गए शिकायतकर्ताओं को वापस रखा जाए. वह आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पती महिलाओं द्वारा की गई शिकायतों पर कुछ भी कहने से बचते दिखे. यह पूछे जाने पर कि एआईआर इन शिकायतों पर क्या कदम उठा रहा है, उन्होंने कहा, “किसी भी केस को देखे बिना और तथ्यों की जांच किए बिना मेरे लिए कुछ भी कहना संभव नहीं है”.

एआईसीएसीयू से मिले पत्र के जवाब में मेनका गांधी ने एआईआर के अधिकारियों के खिलाफ मिली शिकायतों में जांच के आदेश दे दिए हैं.


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