बेहतर नतीजों के लिए तीन बार नापें रक्तचाप: अध्ययन
उच्च रक्तचाप के मरीजों और डॉक्टरों को मेडिकल शोधकर्ताओं ने हिदायत दी है कि वे तीन बार रक्तचाप (बीपी) नापने के बाद ही इलाज के लिए आगे बढ़ें.
हृदयरोग विशेषज्ञों और पब्लिक हेल्थ रिसर्च की एक टीम ने अपने अध्ययन में पाया है कि लगभग पांच-पांच मिनट के अंतराल पर तीन बार बीपी नापने पर करीब 63 फीसदी तक ज्यादा विश्वसनीय परिणाम पाए जा सकते हैं.
द टेलीग्राफ में छपी खबर के मुताबिक, अध्ययन में पाया गया है कि एक बार बीपी नापने की जगह करीब तीन बार ऐसा करने पर बीमारी को ज्यादा बेहतर तरीके से समझा जा सकता है. इससे आगे इलाज करने में काफी मदद मिल सकती है.
एम्स, दिल्ली के शोधकर्ताओं और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, गुरूग्राम (पीएचएफआई) ने अपने संयुक्त अध्ययन में कहा, ” गैर-जरूरी इलाज से बचने के लिए आवश्यक है कि एक से ज्यादा बार बीपी नापा जाए.”
पीएचएफआई के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ हृदयरोग विशेष दोरईराज प्रभाकरन ने बताया कि अक्सर ऐसा देखा गया है कि डाक्टर या मरीज एक बार नापी गई बीपी की रीडिंग के आधार पर ही इलाज को आगे बढ़ा देते हैं. हमने देशभर से लिए गए आंकड़ों के आधार पर अध्ययन में पाया कि ऐसा करने से डॉक्टर रोग को सही से नहीं जान पाते. इसकी वजह से गलत इलाज होता है और मरीज उच्च रक्तचाप को लेकर ज्यादा परेशान हो जाता है.
शोधकर्ताओं ने एक बार बीपी नापने पर इलाज में होने वाली गलतियों को भी रेखांकित किया है.
साल 2015-16 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण से लिए गए आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं ने पता लगाने की कोशिश की कि किस तरह एक से तीन बार नापी गई बीपी रीडिंग में अंतर आता है. जर्नल ऑफ ह्यूमन हाइपरटेंशन में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए करीब 6,70,000 लोगों का डेटाबेस तैयार किया गया था. यह अध्ययन इसी महीने 12 अप्रैल को प्रकाशित हुआ है.
अध्ययन के मुताबिक, 15 से 49 साल के लोगों में पहली बीपी रीडिंग 16.5 फीसदी रही. पर, दूसरी और तीसरी बार नापने पर बीपी घटकर औसतन 10.1 फीसदी ही रह गया.
एम्स में हृदयरोग की प्रोफेसर अंबुज राय ने कहा, ” खान-पान, तंबाकू, बाहरी तापमान, ब्लैडर की दिक्कतों और दर्द जैसे कारणों से बीपी प्रभावित होता है. मेरा मानना है कि सही इलाज के लिए हमें अपनी प्रैक्टिस में एक से ज्यादा बार बीपी नापने पर जोर देना चाहिए.”