नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर असम गण परिषद ने राज्य सरकार से समर्थन वापस लिया


 

मोदी सरकार की कैबिनेट ने बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता प्रदान के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है. इसका मसौदा दोबारा से तैयार किया गया है.

एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विधेयक को मंजूरी दी गई. इसे 8 जनवरी को लोकसभा में रखने की उम्मीद है. यह विधेयक 2016 में पहली बार पेश किया गया था.

नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर केन्द्र सरकार के इस रुख पर असम गण परिषद (एजीपी) ने असम की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है.

एजीपी अध्यक्ष और मंत्री अतुल बोरा ने यह जानकारी दी. बोरा ने कहा कि एजीपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी. इसके बाद यह निर्णय लिया गया.

गृहमंत्री से मुलाकात के बाद बोरा ने कहा, ‘‘हमने इस विधेयक को पारित नहीं करने को लेकर केंद्र को मनाने की आखिरी कोशिश की. लेकिन सिंह ने हमसे स्पष्ट कहा कि यह लोकसभा में 8 जनवरी को पारित कराया जाएगा. इसके बाद, गठबंधन में बने रहने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है.’’

यह विधेयक, नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाए छह साल भारत में गुजारने पर बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी.

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा समेत कुछ दूसरी पार्टियां लगातार इस विधेयक का विरोध कर रही हैं. उनका दावा है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है. यह असंवैधानिक है.

दिलचस्प है कि भाजपा की सहयोगी, शिवसेना और जदयू ने भी ऐलान किया है कि वे संसद में विधेयक का विरोध करेंगी. असम और दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक के खिलाफ लोगों का बड़ा तबका प्रदर्शन कर रहा है.

उनका कहना है कि यह 1985 के असम समझौते को अमान्य करेगा जिसके तहत 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले किसी भी विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की बात कही गई थी, भले ही उसका धर्म कोई भी.

नार्थ-ईस्ट छात्र संगठन(एनईएसओ) के अध्यक्ष सैमुअल जिरवा ने कहा, “भारत सरकार का ये खाका बहुत खतरनाक है, ये क्षेत्र में मूल निवासियों को ही अल्पसंख्यक बना देगा.”

पूर्वोत्तर के आठ प्रभावशाली छात्र निकायों के अलावा असम के 40 से ज्यादा सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने के सरकार के कदम के खिलाफ 8 जनवरी को बंद बुलाया है.

असम के वरिष्ठ मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने इस पूरे मामले पर कहा है कि अगर नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित नहीं हुआ तो अगले पांच साल में राज्य के हिंदू अल्पसंख्यक बन जायेंगे.

नार्थ-ईस्ट छात्र संगठन(एनईएसओ) के अध्यक्ष सैमुअल जिरवा ने भी कहा है, “भारत सरकार का ये खाका बहुत खतरनाक है, ये क्षेत्र में मूल निवासियों को ही अल्पसंख्यक बना देगा.”


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